बात सिर्फ़ इस बार की नहीं है। हर बार जब किसी अपराधी को फाँसी देने का अवसर आता है तो देश में एक अलग क़िस्म का जुनून छा जाता है। कहना न होगा कि इधर फाँसी की सज़ा मिलने का क्रम भी बढ़ा है। ‘रेयर ऑफ़ द रेयरेस्ट’ के नाम पर सिर्फ़ जान लेने के मामलों में ही नहीं, देशद्रोह या बलात्कार जैसे अपराधों के लिए न सिर्फ़ फाँसी की सज़ा दी जाने लगी है बल्कि जब ऐसे मामलों की सुनवाई चल रही होती है तभी से मीडिया, सोशल मीडिया और अन्य मंचों से फाँसी की माँग का ऐसा शोर मचता है कि जज भी उससे प्रभावित हुए बगैर नहीं रहते और एकाध मामलों में उन्होंने कबूल किया कि अदालती सबूत और गवाहियों से फाँसी लायक दोष साबित न होने पर भी उन्हें यह आख़िरी हथियार मुल्क के सामूहिक जुनून को देखते हुए करना पड़ता है।