यूपी विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत सोमवार 20 जनवरी को हंगामेदार रही। सपा और रालोद के विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। सदन में गवर्नर वापस जाओ के नारे लगे।
क्या मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवार डिंपल यादव का समर्थन करना शिवपाल यादव को भारी पड़ गया है। शिवपाल के खिलाफ एक पुराने मामले की सीबीआई को अब याद क्यों आई है?
मैनपुरी में बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य ने नामांकन तो भर दिया है लेकिन शिवपाल यादव का रुख स्पष्ट हो जाने के बाद यह चुनाव डिंपल के लिए आसान हो गया। सैफई में बुधवार को बैठक में शिवपाल समर्थकों ने बहू डिंपल का प्रचार करने का फैसला किया है।
मैनपुरी उपचुनाव ने शिवपाल यादव को दुविधा में डाल दिया है। वो तय नहीं कर पा रहे हैं कि घर की बहू का विरोध करें या फिर बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करें। बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य ने शिवपाल को अपना गुरु बताया है। बहरहाल, मैनपुरी उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद अब अखिलेश यादव के सामने अपनी निजी प्रतिष्ठा और अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या वह अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ ला पाएंगे?
समाजवादी पार्टी के गठबंधन में शामिल महान दल ने ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य और शिवपाल यादव पर शनिवार को तीखा हमला बोला। पार्टी ने कहा कि इन लोगों को बीजेपी ने प्लांट किया था।
विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यह चर्चा थी कि ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल सिंह यादव सपा गठबंधन से अलग हो सकते हैं। देखना होगा कि दोनों नेताओं का अगला क़दम क्या होगा?
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव की 16 दिसम्बर को मुलाकात हो चुकी है। लेकिन आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी, जिसने दोनों को एक किया। हालांकि इसमें आजम खान की सलाह शामिल थी लेकिन शिवपाल ने जमीनी स्तर पर दौरा करके जान ली थी हकीकत...
कभी एक-दूसरे की फूटी आँखों न सुहाने वाले शिवपाल यादव और अखिलेश यादव अब फिर से क़रीब आ गए हैं। क्या उत्तर प्रदेश की विधानसभा चुनाव में हवा का रुख बदला हुआ है?
अखिलेश और शिवपाल सिंह यादव साथ आएंगे या नहीं, यह सवाल उत्तर प्रदेश की सियासत में पूछा जा रहा है। इस बीच, शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश को अल्टीमेटम दे दिया है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के विवाद के चलते सपा को राजनीतिक नुकसान हुआ था .अब अखिलेश ने 21 को लोकदल के साथ गठबंधन का एलान करने और शिवपाल का साथ लेने की बात कही है .चुनाव पर इसका क्या असर पड़ सकता है ?समझेंगे आज की जनादेश चर्चा में
पहले चर्चा थी कि सपा मुखिया अखिलेश के चाचा शिवपाल की घर वापसी हो सकती है। शिवपाल के क़रीबियों की मानें तो उनकी पार्टी का अखिलेश की सपा से कोई मेल नहीं होगा। चुनावी हार के बाद भी आख़िर क्यों नहीं मिल पा रहे हैं दोनों?