समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यूपी में तमाम ऐसे घटनाक्रम हो रहे हैं, जिससे लग रहा है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव कई राजनीतिक मुश्किलों में घिरते जा रहे हैं। सपा संस्थापकों में से एक आजम खान समर्थकों के बागी तेवर जहां अखिलेश को परेशान किए हुए हैं, वहीं उनके चाचा ने गुरुवार को बयान देकर अखिलेश पर दबाव बढ़ाया है। शिवपाल ने अपनी पार्टी का विलय हाल ही में सपा में किया था। लेकिन शिवपाल अब अपनी पार्टी को फिर से जिन्दा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी के साथ उनके बीजेपी में जाने की भी अटकलें चल रही हैं। इसी तरह स्वामी प्रसाद मौर्य के भतीजे ने भी अखिलेश के खिलाफ बयान देकर दबाव बढ़ा दिया है।
शिवपाल यादव ने गुरुवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने अखिलेश को चुनौती देते हुए कहा है कि अगर उन्हें लगता है कि मैं उनके साथ नहीं हूं, वो मुझे पार्टी से निकाल दें। शिवपाल ने कहा कि मैं भी सपा विधायक हूं, कोई सहयोगी दल नहीं हूं।
हाल ही में शिवपाल के बीजेपी में जाने की खबरों पर अखिलेश ने कहा था कि जो बीजेपी से मिलेगा, वो सपा में नहीं रहेगा। इस मुद्दे पर शिवपाल ने कहा कि अभी मैंने कोई फैसला नहीं लिया है। जब वक्त आएगा तो बता दूंगा कि मुझे कहां जाना है। अभी पार्टी में हार-जीत पर समीक्षा चल रही है। जब हमारे काम की समीक्षा होगी तब मैं अपने फैसले से अवगत कराऊंगा।
आजम खान से जुड़े सवाल पर शिवपाल ने कहा कि मैं उनसे जेल में भी जाकर मिला था। आजम खान परिवार से हमारे पारिवारिक रिश्ते हैं। इस सरकार में आजम खान परिवार का उत्पीड़न किया जा रहा है। बता दें कि शिवपाल ने आजम खान का मुद्दा पहले भी उठाया था लेकिन अखिलेश ने सारे मामले में चुप्पी साध रखी है।
बहरहाल, शिवपाल के बयान से अखिलेश की मुश्किल कम नहीं होगी, बल्कि बढ़ेगी। विधानसभा चुनाव में सपा एटा, इटावा, मैनपुरी आदि इलाकों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई। यह परंपरागत मुलायम सिंह यादव खानदान की बेल्ट मानी जाती है और यादव यहां का कोर वोटर है। लेकिन इस चुनाव में यादव वोट बड़े पैमाने पर बीजेपी में शिफ्ट हुआ है।
इस बीच आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी रामपुर दौरे के दौरान आजम खान के घर पर भी गए। यह मुलाकात लंबी चली। भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखऱ आजाद भी आरएलडी में शामिल हो चुके हैं। आरएलडी सपा का गठबंधन है। लेकिन जयंत चौधरी के रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है। क्योंकि चुनाव के दौरान सपा सुप्रीमो अखिलेश ने चंद्रशेखर को टिकट नहीं दिया था और चंद्रशेखर को गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपनी ही पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना पड़ा था। पश्चिमी यूपी में जयंत की राजनीति जाट और मुसलमानों को साथ लेकर चलने की रही है। लेकिन अखिलेश फिलहाल इसमें फिट नहीं बैठ पा रहे हैं।
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