प्रशांत किशोर को सोमवार 6 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। किशोर बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) परीक्षा में धांधली के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे और इसे रद्द करने की मांग कर रहे थे। हालांकि उनका यह आंदोलन विवाद में रहा, क्योंकि जब पिछले हफ्ते प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज हुआ तो उन पर वहां से खिसकने का आरोप लगा था। वे प्रदर्शनकारियों से बहस करते भी नजर आये थे।
बिहार सिविल सेवा के परिक्षार्थियों को पटना में रविवार रात को कड़ाके की ठंड में जमकर पीटा गया। राज्य में अगले साल चुनाव हैं। बिहार में हर दो-तीन महीने के अंतराल पर युवकों को पीटा जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सारे मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है। ताजा विवाद में प्रशांत किशोर यानी पीके भी आ गए हैं। पीके के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। लेकिन पीके क्यों आये। जानिए पूरा घटनाक्रमः
बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इस बार उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे। आख़िर उनका मक़सद क्या था और क्या वह इसमें सफल हुए?
बिहार में 13 नवंबर को चार सीटों पर उपचुनाव होना है। इन चारों सीटों पर जन सुराज पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं। लेकिन इसके साथ ही वह उम्मीदवारों की छवि को लेकर विवादों में आ गयी है।
बिहार में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने हैं, लेकिन इससे पहले राज्य में एक के बाद एक नये दल बन रहे हैं। पहले प्रशांत किशोर ने पार्टी बनाई और अब आरसीपी सिंह ने। ये क्या सियासी चाल है?
नयी राजनीतिक पार्टियों के आगमन के साथ लोगों की उम्मीदें भी अच्छा कुछ होने की होती हैं। तो क्या प्रशांत किशोर की पार्टी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेगी और क्या लोग उनपर इतना जल्दी विश्वास कर लेंगे?
किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में कुछ समय रहने और पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें शामिल करने के कांग्रेस के असफल प्रयास के बाद जन सुराज पहल शुरू की थी।
खुद को राजनीतिक रणनीतिकार बताने वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज अभियान गांधी जयंती 2 अक्टूबर को राजनीतिक पार्टी बन जाएगी। पार्टी अगले बिहार विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर लड़ेगी। लेकिन सवाल यह है कि आखिर किसे हराने के लिए प्रशांत किशोर यह सब प्रपंच कर रहे हैं। सिर्फ मुस्लिमों-दलितों से उनकी इमोशनल अपीलों का क्या मतलब है। जानिए पटना कार्यशाला में प्रशांत किशोर ने रविवार को और क्या कहाः
तमाम पार्टियों का मजा ले चुके और बुरी तरह जमीन खाने के बावजूद चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर अपनी पार्टी जन सुराज को एक बार फिर लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने 2 अक्टूबर की तारीख इसके लिए रखी है। प्रशांत किशोर इस बार दलितों और मुस्लिमों पर कुछ ज्यादा ही फोकस कर रहे हैं। ऐसा क्यों है, जानिए पूरी राजनीतिः
मुख्यधारा के मीडिया को दिए इंटरव्यू में छाए रहे प्रशांत किशोर का ग्राफ क्या अचानक से करण थापर के साथ इंटरव्यू के बाद गिर गया? आख़िर ऐसा क्या हुआ कि सोशल मीडिया पर वह चौतरफा घिर गए और करण थापर-मोदी इंटरव्यू को याद करने लगे?
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के समर्थन से विधान परिषद की एक सीट जीतने पर बिहार की राजनीति में तूफान आ गया है। लोग तरह-तरह के नजरिए से इसे देख रहे हैं लेकिन वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शैलेश बता रहे हैं कि प्रशांत किशोर की राजनीति को इससे क्या फायदा होगा।
प्रशांत किशोर अपने गृह राज्य से राजनीति की शुरुआत करने जा रहे हैं, जिसके लिए वे कई प्रकार के सर्वे करवा रहे हैं। लेकिन उससे पहले उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवार का चुनाव जीतना उनके लिए राहत की बात है, जो दूसरे दलों की चिंताएं बढ़ाएगा।
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तरह चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके भी बिहार में जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं। इस यात्रा को निकालने के पीछे पीके का क्या कोई राजनीतिक मकसद है?