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तेजस्वी के वोट बैंक को साधने में लगे हैं प्रशांत किशोर?

बिहार में अगले विधानसभा चुनाव से पहले प्रशांत किशोर मुस्लिमों को क्यों लुभा रहे हैं? वह आखिर तेजस्वी यादव पर लगातार तीखे हमले क्यों कर रहे हैं? उनके निशाने पर आख़िर आरजेडी ही क्यों है?

जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर का ताज़ा हमला तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर है। प्रशांत ने तेजस्वी की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि विशेषाधिकार वाले परिवार से आने के बावजूद वह 10वीं कक्षा पास करने में विफल रहे। बिहार के भोजपुर में एक सभा में प्रशांत किशोर ने कहा, 'अगर कोई संसाधनों की कमी के कारण शिक्षित नहीं हो पाता है, तो यह समझ में आता है। लेकिन अगर किसी के माता-पिता मुख्यमंत्री हैं और वह 10वीं कक्षा पास नहीं कर पाया, तो यह शिक्षा के प्रति उनके नज़रिए को दर्शाता है।'

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प्रशांत ने तेजस्वी यादव की शैक्षिक योग्यता की आलोचना की और कहा, 'एक 9वीं फेल बिहार के विकास का रास्ता दिखा रहा है। वह जीडीपी और जीडीपी वृद्धि के बीच अंतर नहीं जानते हैं और वह बताएंगे कि बिहार कैसे सुधरेगा?' जन सुराज के नेता ने तेजस्वी की साख को चुनौती दी। उन्होंने तर्क दिया कि पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव का बेटा और पारिवारिक संबंधों के कारण वह आरजेडी में नेता हैं। 

प्रशांत किशोर ने इस बात पर जोर दिया कि तेजस्वी को कड़ी मेहनत करनी चाहिए और अपने परिवार के नाम से परे प्रतिष्ठा बनाने के लिए अपनी मेहनत के दम पर खुद को साबित करना चाहिए। उन्होंने तेजस्वी के आगामी 10 सितंबर से शुरू होने वाले राज्य दौरे पर भी सवाल उठाया और उनसे वाहनों के काफिले और फोटो खिंचवाने पर निर्भर रहने के बजाय पैदल ही मतदाताओं से जुड़ने की बात कही।

जन सुराज के नेता प्रशांत ने तेजस्वी के सरकारी नौकरियों के वादों की आलोचना की और उन्हें भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि बिहार में मौजूदा 23 लाख सरकारी कर्मचारी आबादी का केवल 1.97 प्रतिशत हिस्सा हैं और अगर तेजस्वी अपने वादों को पूरा भी करते हैं, तो भी 98 प्रतिशत लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने तेजस्वी को बिना कोई पेपर पढ़े पांच मिनट तक समाजवाद के बारे में बोलने की चुनौती भी दी।
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तेजस्वी पर हमले के साथ मुस्लिमों को लुभाया

प्रशांत किशोर एक तरफ़ तो तेजस्वी यादव पर हमले कर रहे हैं और दूसरी तरफ़ वह मुस्लिमों को लुभा रहे हैं। प्रशांत किशोर ने दो दिन पहले ही मुस्लिमों के साथ एक कार्यक्रम किया। जन सुराज अभियान के शुरू में तो मुहिम गांव-गांव चलती रही, लेकिन हाल के कई कार्यक्रम पटना में हुए हैं। 

जन सुराज के ऐसे ही एक कार्यक्रम 'राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी' में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम 40 मुसलमान उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। प्रशांत किशोर के मुताबिक़ जन सुराज में 25 लोगों की एक कोर टीम बनाई जा रही है, और उसमें 4-5 मुस्लिम नेता भी होंगे।
प्रशांत किशोर का मुस्लिमों पर इतना जोर तब है जब बिहार में अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या क़रीब 17 फ़ीसदी है। इसमें भी मुस्लिमों को आरजेडी का वोट बैंक माना जाता है। माना जाता है कि बिहार की राजनीति में एम वाई फैक्टर आरजेडी को सत्ता दिलाने या विपक्ष में बनाये रखने में अहम भूमिका निभाता है।
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अगर प्रशांत किशोर बिहार के मुस्लिम नेताओं को एकजुट कर लेते हैं और आरजेडी के असंतुष्ट मुस्लिम नेताओं को तोड़ कर जन सुराज में आने के लिए तैयार कर लेते हैं तो आरजेडी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लग सकती है। 

जाति जनगणना को लेकर भी प्रशांत किशोर का अलग रुख है। उन्होंने इसके कार्यान्वयन का समर्थन किया लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए इसे लेकर मौजूदा राजनीतिक चर्चा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर वास्तव में चिंतित दलों को पहले उन राज्यों में जनगणना लागू करनी चाहिए जहां वे सत्ता में हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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