बिहार की सियासी जमीन एक बार फिर गरमा रही है और इस बार वजह है वक्फ संशोधन क़ानून। जहाँ एक तरफ़ बीजेपी इसे पारदर्शिता का हथियार बता रही है, वहीं उसके सहयोगी दल जेडीयू और अन्य एनडीए घटक असमंजस के भंवर में फँसे दिख रहे हैं। नीतीश कुमार की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल उठ रहे हैं और मुस्लिम वोटों की नाराजगी का डर सहयोगियों को परेशान कर रहा है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव की अगुवाई में आरजेडी इस मौक़े को सुनहरे हथियार की तरह भुनाने की तैयारी में है। पटना की गलियों से लेकर दिल्ली के संसद तक यह मुद्दा अब सिर्फ़ क़ानून का नहीं, बल्कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी का सवाल बन गया है। तो क्या वक्फ क़ानून बिहार में बीजेपी के गठबंधन को कमजोर करेगा, या आरजेडी इस सियासी दंगल में बाजी मार लेगा? आइए, इसकी पड़ताल करें।
वक्फ क़ानून से बीजेपी के सहयोगी असमंजस में; आरजेडी बाजी मार लेगा?
- बिहार
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- 7 Apr, 2025
वक्फ क़ानून को लेकर बिहार में बीजेपी के सहयोगी दलों में असमंजस की स्थिति है। ऐसे में आरजेडी इस मुद्दे को लपककर सियासी लाभ लेने की कोशिश में है। क्या यह मामला महागठबंधन को बढ़त दिला सकता है?

वक्फ संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों में पारित करने में जेडीयू की भूमिका अहम रही। नीतीश कुमार की पार्टी ने बीजेपी के साथ क़दम मिलाते हुए इस बिल का समर्थन किया, लेकिन इसके बाद पार्टी के भीतर विरोध के स्वर तेज़ हो गए। जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं ने इस फ़ैसले पर नाराज़गी जताई और कुछ ने तो इस्तीफ़े तक दे दिए। पटना में हाल ही में जेडीयू के मुस्लिम नेताओं की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। इसमें बिल का बचाव करने की कोशिश की गई, लेकिन पहले ही सवाल पर यह बैठक अचानक ख़त्म हो गई। यह घटना जेडीयू के भीतर असमंजस और एकजुटता की कमी को उजागर करती है।