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प्रशांत किशोर तो बिजनेसमैन हैंः जेडीयू

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की जेडीयू में वापसी की कोशिशों पर जेडीयू का शनिवार 17 सितंबर को महत्वपूर्ण बयान आया है। जिससे पता चलता है कि पीके खबरों में बने रहने के लिए किस तरह कोशिश करते रहते हैं।
जेडीयू अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने शनिवार को पटना में कहा कि प्रशांत किशोर राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। वो एक बिजनेसमैन हैं और अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए मार्केटिंग करते हैं। उन्हें जेडीयू में शामिल होने का कोई प्रस्ताव नहीं दिया गया। वह खुद सीएम से मिलना चाहते थे। 
ललन सिंह ने बताया कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आखिरकार उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने के लिए कहा। हमने उनसे दिल्ली में 1.5 घंटे बात की। उनसे कहा कि वो पार्टी के अनुशासन के भीतर काम करें और सभी को पार्टी के फैसले को अलग-अलग राय के बावजूद स्वीकार करना चाहिए। जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने बताया कि सीएम से मिलाने के लिए उनके लिए शाम 4 बजे का समय तय किया गया था, लेकिन उससे 2 घंटे पहले उन्होंने मीडिया से कहा कि उन्हें बुलाया गया है लेकिन वो नहीं जाएंगे, सीएम इंतजार करेंगे। यह सब मार्केटिंग का हिस्सा है। 
प्रशांत किशोर को जनवरी, 2020 में जेडीयू ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके बाद प्रशांत किशोर तमाम राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम करते रहे। कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में। मीडिया में खासकर अखबारों में उनकी खबरें बहुत तरीके से छपती रहीं। उनकी चुनावी रणनीति का अखबारों में धुआंधार प्रचार होता रहा।अब मीडिया में फिर कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर एक बार फिर नीतीश कुमार के साथ मिलकर काम करेंगे। जबकि नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल दलों के साथ सरकार बनाने के बाद से ही विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने के काम में जुटे हुए हैं।
इससे पहले भी प्रशांत किशोर ने बात बिहार की नाम के कार्यक्रम की घोषणा की थी। इस पर भी वह आगे नहीं बढ़ पाए थे। इसके लिए कोरोना की दूसरी लहर के कारण बने हालात का हवाला दिया गया था। लेकिन इस बार तो कोरोना को लेकर हालात सामान्य हो चुके हैं तो फिर प्रशांत किशोर अपनी 3000 किलोमीटर की पदयात्रा पर क्यों नहीं निकल रहे हैं। प्रशांत किशोर ने कहा था कि वह अभी कोई राजनीतिक दल का गठन नहीं करेंगे लेकिन आमतौर पर यही चर्चा थी कि प्रशांत किशोर अपना एक अलग राजनीतिक दल बनाकर बिहार में चुनाव लड़ना चाहते हैं।
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प्रशांत किशोर के बारे में कहा जाता है कि वह सरकार बनाने का काम करते हैं। तो आखिर क्यों वह अपना राजनीतिक दल बनाकर चुनाव नहीं लड़ते। प्रशांत किशोर को अपनी चुनावी रणनीति और प्रबंधन पर जबरदस्त भरोसा है तो उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरना चाहिए।

अब यह लग रहा है कि प्रशांत किशोर अपनी 3000 किमी. की पदयात्रा को रद्द कर देंगे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मिलकर 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने के काम में जुटेंगे। निश्चित रूप से प्रशांत किशोर में चुनाव रणनीति बनाने और चुनावी प्रबंधन की काबिलियत है और उससे नीतीश कुमार और विपक्षी नेताओं को फायदा मिल सकता है।  लेकिन अगर वह खुद को साबित करना चाहते हैं तो उन्हें बिहार में अपना राजनीतिक दल बनाकर अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए। इससे पता चलेगा कि बिहार की सियासत में आखिर वास्तव में प्रशांत किशोर की पकड़ है या नहीं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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