प्रशांत किशोर ने बुधवार को पटना में आधिकारिक तौर पर अपनी नई राजनीतिक पार्टी 'जन सुराज पार्टी' की शुरुआत कर दी। लॉन्चिंग के दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी पिछले दो सालों से सक्रिय है और हाल ही में उसे भारत के चुनाव आयोग से मंजूरी मिली है।
चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने के साथ जन सुराज पार्टी अब अगले बिहार विधानसभा चुनाव में सभी निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी। चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने विपक्ष पर हमला भी किया। भाजपा के साथ उनकी पार्टी के कथित संबंधों पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए किशोर ने कहा कि जन सुराज पार्टी 'आरएसएस और अल्पसंख्यकों दोनों का मिश्रण है।'
सभा को संबोधित करते हुए प्रशांत किशोर ने बिहार की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की। उन्होंने अनुमान लगाया कि विश्वस्तरीय मानक हासिल करने के लिए अगले दशक में 5 लाख करोड़ रुपये की ज़रूरत होगी।
राज्य में शराबबंदी पर प्रशांत किशोर ने तर्क दिया कि सालाना होने वाले राजस्व नुक़सान - लगभग 20,000 करोड़ रुपये - को शैक्षिक सुधार के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने राज्य के भविष्य में निवेश की ज़रूरत पर जोर देते हुए कहा, 'जब शराब पर प्रतिबंध हटा लिया जाएगा, तो वह पैसा सड़क, पानी, बिजली या नेताओं की सुरक्षा के लिए बजट में नहीं जाएगा। इसका उपयोग केवल बिहार में नई शिक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए किया जाएगा।'
किशोर ने कहा था कि पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा, यह उन लोगों का फैसला होगा जिन्होंने पिछले दो वर्षों में समूह के लिए काम किया है।
दो साल से अधिक समय से किशोर पूरे राज्य में यात्रा कर रहे हैं और लोगों को इस बारे में जागरूक कर रहे हैं कि उनके अनुसार चुनावी एजेंडा क्या होना चाहिए।
इस साल की शुरुआत में उन्होंने घोषणा की थी कि वे एक राजनीतिक पार्टी के रूप में औपचारिक रूप से लॉन्च होने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा था कि उनका जन सुराज लोगों को एक नया विकल्प देगा। उन्होंने कहा था, 'बिहार में पिछले 25 से 30 सालों से लोग आरजेडी या बीजेपी को वोट देते आ रहे हैं। यह मजबूरी ख़त्म होनी चाहिए। विकल्प किसी वंशवादी पार्टी का नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसे लोगों का होना चाहिए जो पार्टी बनाना चाहते हैं।'
किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड में कुछ समय रहने और पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें शामिल करने के कांग्रेस के असफल प्रयास के बाद जन सुराज पहल शुरू की थी। 2022 में व्यापक बातचीत के बाद पार्टी के 'एंपावर्ड एक्शन ग्रुप' में शामिल होने की पेशकश की गई थी, लेकिन बाद में सहमति नहीं बनी और वह कांग्रेस का हिस्सा नहीं बन पाए।
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