भारत में चुनाव के सबसे बड़े रणनीतिकार माने जाने वाले प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, बिहार विधानसभा के उप चुनाव में कोई करिश्मा नहीं दिखा पायी। चारों सीटों पर एनडीए जीत गया। राज्य की राजनीति के नए नवेले खिलाड़ी प्रशांत किशोर की पार्टी कोई सीट तो नहीं जीत सकी, लेकिन आरजे डी- कांग्रेस के इंडिया गठबंधन की हार को आसान कर दिया। यानी दूसरी तरफ से देखें तो बीजेपी- जेडीयू गठबंधन के लिये फायदेमंद साबित हुए।

उपचुनाव के लिए प्रशांत किशोर ने जिस तरह से टिकट दिया उससे ये साफ़ हो गया था कि उनकी नजर एक व्यापक सामाजिक समीकरण खड़ा करने पर है। चार में से एक सीट मुसलमान, एक दलित (पासवान), एक पिछड़ा, और एक महिला को दिया।
इस साल अक्टूबर में जब प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना और विधानसभा उप चुनाव लड़ने की घोषणा की तब से ही आरजेडी और इंडिया गठबंधन के नेता आरोप लगा रहे थे कि प्रशांत किशोर का बीजेपी से अघोषित समझौता है। वो सिर्फ़ इंडिया गठबंधन का वोट काटने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उप चुनाव के नतीजों को 2025 के विधानसभा चुनावों का संकेतक माना जाए तो तो ये इंडिया गठबंधन के लिए शुभ संकेत नहीं है। खास बात ये है कि उप चुनाव जिन सीटों पर हुआ, उन पर पहले इंडिया गठबंधन का कब्जा था। इंडिया गठबंधन के विधायकों के लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण ये सीटें ख़ाली हुई थीं। वो लोकसभा जीते, लेकिन उनकी पार्टी विधानसभा उप चुनाव हार गयी।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक