संदेशखाली यौन उत्पीड़न केस में आलोचनाएं झेल रही पश्चिम बंगाल सरकार को फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को राहत देते हुए लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर रोक लगा दिया है। यह नोटिस भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार द्वारा की गई शिकायत के बाद जारी किया गया था।
इसके बाद समिति ने पश्चिम बंगाल राज्य के मुख्य सचिव भगवती प्रसाद गोपालिका,डीजीपी राजीव कुमार और तीन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी कर 19 फरवरी को पेश होने को कहा था। लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के नोटिस को पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में तत्काल सुनवाई की अपील की थी। कोर्ट में बहस करते हुए कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि राजनैतिक गतिविधियां विशेषाधिकार का हिस्सा नहीं हो सकता है।
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार ने लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के समक्ष शिकायत की थी कि संदेशखाली यौन उत्पीड़न मामले में 13 और 14 फरवरी को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया था। इसके बाद इन अधिकारियों के खिलाफ लोकसभा विशेषाधिकार समिति ने नोटिस जारी किया था।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन अधिकारियों को समिति ने नोटिस जारी किया था उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस मामले की सोमवार को सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगवाई वाली पीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए समिति की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ताओं द्वारा तत्काल सुनवाई की मांग के बाद पीठ ने सुबह 10.30 बजे ही इसपर सुनवाई शुरू कर दी। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अधिकारियों को आज सुबह 10.30 बजे लोकसभा विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।
दोनों वरिष्ठ वकीलों ने कहा कि संदेशखाली क्षेत्र में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत कर्फ्यू लगाया गया था और कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए डॉ. मजूमदार और भाजपा समर्थक इस क्षेत्र में एकत्र हुए। उन्होंने कहा कि यह कानूनी मुद्दा है। उन्होंने तर्क दिया कि संसदीय विशेषाधिकार राजनीतिक गतिविधियों तक विस्तारित नहीं होता है और लोकसभा सचिवालय ने अधिकारियों को नोटिस जारी करके अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर काम किया है।
उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव, डीजीपी और जिला मजिस्ट्रेट जैसे अधिकारी भी कार्यक्रम स्थल पर मौजूद नहीं थे। 15 फरवरी को डॉ. मजूमदार द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को भेजी गई शिकायत पर त्वरित कार्यवाही शुरू की गई और अधिकारी को सम्मन जारी किया गया था।
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राष्ट्रीय महिला आयोग पीड़िताओं के साथ खड़ा है
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा सोमवार को पश्चिम बंगाल के संदेशखाली पहुंची। उनसे पहले पिछले सप्ताह भी आयोग के दो लोग यहां आए थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक आयोग के प्रतिनिधियों ने अपने दौरे के बाद पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस की लापरवाही को लेकर एक रिपोर्ट भी दी है।संदेशखाली पहुंची राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपना इस्तीफा दे देना चाहिए। ममता बनर्जी यहां महिला के रूप में आएं तभी यहां यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को दर्द समझ पाएंगी।
रेखा शर्मा ने कहा कि, हम राज्य के राज्यपाल से मिलेंगे और मंगलवार को राष्ट्रपति से मिलेंगे। उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार प्रशासन को केंद्रीय एजेंसियों की मदद करने की अनुमति नहीं दे रही है।
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा है कि, मैं चाहती हूं कि पीड़ित मुझसे बात करें, राष्ट्रीय महिला आयोग उनके साथ खड़ा है।
उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों की हर शिकायत पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती, उल्टे पीड़ित के रिश्तेदारों को ही गिरफ्तार करती है।
यह स्थिति सिर्फ संदेशखाली की नहीं बल्कि पूरे राज्य की है। मैं यह रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपूंगी और वे आगे की कार्रवाई करेंगी। शेख शाहजहां की गिरफ्तारी नहीं होने से महिलाएं डरी हुई हैं, हमें शेख शाहजहां की गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने की जरूरत है।
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टीएमसी नेता पर लगा है महिलाओं के उत्पीड़न का आरोप
पश्चिम बंगाल का संदेशखाली गांव इन दिनों मीडिया में काफी चर्चा में है। संदेशखाली में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके लोगों पर लगा है। महिलाओं का आरोप है कि यहां शाहजहां शेख ने कई महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया है।कई महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर अत्याचार, यौन उत्पीड़न करने और उनकी जमीन पर कब्जा करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। जैसे ही यह मामला सामने आया पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने तुरंत इस मामले का संज्ञान लिया। वह खुद संदेशखाली पहुंच गए थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि संदेशखाली में जो हुआ वो होश उड़ा देने वाला था।
इन दिनों संदेशखाली राष्ट्रीय मीडिया में छाया हुआ है और इस गांव में तनाव व्याप्त है। महिला आयोग के प्रतिनिधियों से लेकर राष्ट्रीय मीडिया तक यहां पहुंच रहा है। यहां हालात गंभीर हैं और पूरा इलाका सुलग रहा है। पीड़ित महिलाएं अपने लिए इंसाफ मांग रही हैं। दूसरी तरफ पुलिस ने संदेशखाली में पहरा बैठा रहा है।
इस पूरे मामले को भाजपा बंगाल सरकार के खिलाफ एक बड़ा मुद्दा बना चुकी है। पश्चिम बंगाल में जगह-जगह भाजपा के कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर इस घटना का विरोध कर रहे हैं और संदेशखाली की महिलाओं के लिए न्याय मांग रहे हैं।
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