पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद हिंसा की लपटों में घिरा है, जहाँ वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ भड़का आक्रोश सड़कों पर तांडव मचा रहा है। तीन मौतें, सैकड़ों गिरफ्तारियाँ और बीएसएफ़ की नई टुकड़ियों की तैनाती, ये सब उस तनाव की गवाही दे रही हैं जो अब सिर्फ़ क़ानून का नहीं, बल्कि सियासत और समाज के विभाजन का मुद्दा बन चुका है। क्या यह केवल एक क़ानून का विरोध है, या बंगाल की जमीन पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की नई स्क्रिप्ट लिखी जा रही है? क्या ममता बनर्जी की हुंकार और बीजेपी के तीखे तेवर इस आग में और घी डाल रहे हैं?
दरअसल, इसकी शुरुआत तब हुई जब पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के ख़िलाफ़ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। शुक्रवार को शुरू हुई हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती बढ़ाई गई है। बीएसएफ़ की पांच और कंपनियों को हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है जिससे कुल आठ कंपनियाँ अब वहां तैनात हैं।