पश्चिम बंगाल की राजनीति में लंबे समय से हाशिए पर रही कांग्रेस ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपने पाँव पर खड़े होने की कवायद शुरू कर दी है। बीते कई चुनावों में वाममोर्चा के साथ हाथ मिला कर लड़ने के बावजूद उसका प्रदर्शन लचर ही रहा है। बीते विधानसभा चुनाव में तो उसका खाता तक नहीं खुल सका था। लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर वह अगले साल भी तालमेल का दरवाजा खुला रख कर संगठन को मज़बूत करने की कवायद में जुट गई है। हाल में दिल्ली में राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बंगाल में पार्टी की दशा-दिशा और भविष्य की रणनीति पर राज्य के प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की थी।
ममता के गढ़ बंगाल में अपने पाँव पर खड़ी हो पाएगी कांग्रेस?
- पश्चिम बंगाल
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- 22 Mar, 2025

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस फिर से अपनी राजनीतिक ज़मीन मज़बूत करने की कोशिश में जुटी है। तृणमूल कांग्रेस और वाम दलों के बीच संतुलन साधते हुए क्या कांग्रेस यहाँ अपनी खोई हुई पकड़ दोबारा हासिल कर पाएगी? जानिए, पूरे सियासी घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट।
प्रदेश कांग्रेस के एक नेता बताते हैं कि बैठक में अधीर चौधरी के अलावा दीवा दासमुंशी, प्रदीप भट्टाचार्य, सांसद ईशा खान चौधरी, अभिजीत मुखर्जी, संतोष पाठक और अमिताभ चक्रवर्ती के अलावा प्रदेश अध्यक्ष शुभंकर सरकार शामिल थे। बैठक में केंद्रीय नेताओं का कहना था कि तालमेल के मुद्दे पर ध्यान दिए बिना पहले संगठन को मज़बूत करना ज़रूरी है। प्रदेश के नेताओं ने केंद्रीय नेतृत्व को बंगाल में सांगठनिक दिक्कतों और मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति की भी जानकारी दी।