वर्ष 2016 की भर्ती परीक्षा के जरिए नौकरी पाने वाले 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां खत्म करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में इसके राजनीतिक असर से निपटने की रणनीति पर मंथन जारी है. दरअसल, यह फैसला तो बीते साल अप्रैल में कलकत्ता हाईकोर्ट ने ही दिया था. उसे चुनौती देने वाली सरकार, शिक्षा मंत्रालय और स्कूल सेवा आयोग की याचिकाओं पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कुछ संशोधनों के साथ उसी फैसले को बहाल रखा है.

इस मुद्दे के राजनीतिक असर पर तृणमूल कांग्रेस में राय बंटी हुई है. हालांकि ममता ने इस फैसले के बाद राज्य की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त करने के लिए सीपीएम और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना था कि मानवता के नाते इन उम्मीदवारों को अपनी गलती सुधारने का एक मौका तो दिया ही जा सकता था.