बीजेपी ने इस रणनीति के तहत यह तय किया है ममता बनर्जी के मुखातिब होने पर जब-तब, बार-बार उनके सामने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए जाएँ। इससे वह चिढ़ें, गुस्से की प्रतिक्रिया दें और बीजेपी उसे सोशल मीडिया पर वायरल करा कर यह प्रचारित करे कि तृणमूल प्रमुख हिन्दू विरोधी हैं।
तुनकमिजाजी ममता!
यह सबको पता है कि ममता बनर्जी तुनकमिजाजी हैं, उन्हें किसी भी बात पर तुरन्त ग़ुस्सा आ जाता है। वह अपने ग़ुस्से, किसी भी मुद्दे पर पलटवार करने और उत्तेजक बयान देने के लिए मशहूर हैं। यह उनकी राजनीतिक शैली है उनका स्वभाव भी यही है। कांग्रेस पार्टी में कलह होने और पार्टी तोड़ कर बाहर निकलने की पीछे यह भी एक कारण था। बीजेपी के लोग इसका फ़ायदा उठा कर उन्हें घेरने की जुगत भिड़ा रहे हैं। बैरकपुर के नव-निर्वाचित बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह के बयान से इस रणनीति का खुलासा होता है।“
ममता बनर्जी जब कभी राज्य के किसी हिस्से में दौरे पर जाएँगी, पार्टी के कार्यकर्ता ‘जय श्री राम’ का नारा लगा कर उनका स्वागत करेंगे। उनके सामने आकर हज़ारों स्त्री-पुरुष ‘जय श्री राम’ का नारा लगाएँगे, महिलाएँ शंख बजा कर उनका स्वागत करेंगी। पुलिस हमें लाउड स्पीकर का प्रयोग नहीं करने देगी, इसलिए हम बड़ी तादाद में इकट्ठे होकर नारा लगाएँगे।
अर्जुन सिंह, बीजेपी सांसद
बचकाना हरकत
पार्टी की इस रणनीति के पीछे ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया रही है, जिसे बचकाना ही कहा जा सकता है। बीजेपी ने दो मौक़ों पर ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया का फ़ायदा उठाने का फ़ैसला किया है। पूर्व मेदिनीपुर में 5 मई और उत्तर चौबीस परगना में 30 मई को अलग-अलग घटनाओं से बीजेपी को कुछ करने की प्रेरणा मिली। दोनों बार मुख्यमंत्री जब बीजेपी के कार्यकर्ताओं के पास से गुजर रही थीं, उन्होंने रुक कर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया। इस पर ममता बनर्जी ने अपनी गाड़ी रुकवाई, गाड़ी से बाहर निकल कर उन कार्यकर्ताओं के पास गईं और उन्हें डाँट लगाई। इसका वीडियो वायरल हो गया और बनर्जी की आलोचना हुई।बंगाली संस्कृति में नमस्कार करने के लिए ‘जय श्री राम’ नहीं कहा जाता है, जैसा उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में होता है। इसलिए ममता बनर्जी का अभिवादन करने के लिए तो यह नारा नहीं ही लगाया गया होगा, उन्हें गुस्सा दिलाने की कोशिश ज़रूर की गई। वह इस उकसावे में आ गईं और जाने अनजाने बीजेपी को एक हथियार थमा दिया।
फ़ेसबुक पर ममता का जवाब
अपने विरोधी की चाल समझ कर मुख्यमंत्री ने अपना रुख नरम कर लिया है। उन्होंने सफ़ाई दी है कि इस नारे में कोई बुराई नहीं है, पर बीजेपी इसका राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक पोस्ट कर कहा कि बीजेपी राम के नाम को विकृत कर रही है और इसके ज़रिए धर्म और राजनीति का घालमेल कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने लंबे पोस्ट में बांग्ला के अलावा हिन्दी और अंग्रेजी में भी अपनी बातें कही हैं।“
‘जय सिया राम’,’जय राम जी की’, ’राम नाम सत्य है’ आदि नारों का धार्मिक और सामाजिक अर्थ है। हम इन मनोभावों का आदर करते हैं। लेकिन भाजपा धार्मिक नारे, 'जय सिया राम' को विकृत रूप से अपने पार्टी के नारे के रूप में काम में लगा रही है तथा इसके माध्यम से धर्म और राजनीति को एक साथ मिला रही है। हम तथाकथित आरएसएस द्वारा दूसरों पर इन जबरदस्ती के थोपे गए राजनीति नारों का सम्मान नहीं करते हैं जिसे बंगाल ने कभी भी मान्यता नहीं दी। यह जानबूझकर बर्बरता और हिंसा के ज़रिये घृणा की विचारधारा को बेचने जैसा है जिसका हम सभी को मिलजुल कर विरोध करना चाहिए।
ममता बनर्जी के फ़ेसबुक पेज से साभार
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