क्या अब उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा महागठबंधन टूट जाएगा? लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के ख़राब प्रदर्शन के बाद पहली बार मायावती की ओर से इसके संकेत मिले हैं। लोकसभा चुनाव नतीजों को लेकर सोमवार को हुई बसपा की बैठक में सपा-बसपा के बीच तल्खी साफ़ तौर पर दिखी। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बीएसपी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम के लिए सपा के साथ गठबंधन को ज़िम्मेदार ठहराया है। ऐसे में बसपा के राज्य विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की संभावना है। रिपोर्टों के अनुसार मायावती ने यूपी में कुछ दिनों में होने वाले 11 विधानसभा उप-चुनावों में अकेले लड़ने की भी घोषणा कर दी है।
मायावती ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के साथ लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने अखिलेश यादव को लोकसभा चुनाव के दौरान यादव वोटों के विभाजन को रोकने में सक्षम नहीं होने का ज़िम्मेदार ठहराया। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बैठक में मायावती ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव को भी जीता नहीं सके। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज में 12,000 से अधिक वोटों से चुनाव हार गई हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मायावती का आरोप है कि लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह परिवार ने ही नुक़सान पहुँचाया। उनका वोट ही ट्रांसफर नहीं हो पाया। शिवपाल सिंह यादव ने अपने कैंडिडेट खड़े करके काफ़ी वोट काटे और नुक़सान पहुँचाया इसलिए अब साथ चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है। मायावती का कहना है कि अजित सिंह जाट वोट को ट्रांसफर कराने में नाकाम रहे, ऐसे में साथ चलने का कोई मतलब नहीं रह गया है। लोकसभा चुनाव में आरएलडी का एक भी उम्मीदवार जीत नहीं दर्ज करा पाया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
बसपा को 10, सपा को 5 सीटें
लोकसभा चुनाव में बसपा ने 10 और सपा ने पाँच सीटें जीती। बीजेपी ने राज्य से 62 सीटों के साथ भारी अंतर से जीत हासिल की। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी तैयारी के बाद सपा, बसपा और आरएलडी के बीच गठबंधन हुआ था। तीनों दलों ने यूपी में 50 से ज़्यादा सीटें जीतने का दावा किया था। लेकिन लोकसभा चुनावों के परिणाम उम्मीदों के उलट रहा।बता दें कि देश भर में बीजेपी ने 303 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की है और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने लोकसभा चुनावों में 350 सीट पर कब्ज़ा जमाया।
गठबंधन टूटने के आसार क्यों?
गठबंधन के दौरान यह कहा गया था कि लोकसभा चुनाव में सपा समर्थन करेगी और विधानसभा चुनाव में बसपा मदद करेगी ताकि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बन सकें। लेकिन लोकसभा चुनाव में उम्मीद के अनुसार वोट नहीं मिले जिसके कारण इस गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह गया।
बता दें कि पहले कहा जा रहा था कि सपा-बसपा गठबंधन आम चुनाव से आगे भी बने रहने की संभावना है। पहले ऐसा सिर्फ़ अखिलेश यादव ही कहते रहे थे लेकिन बाद में यह बात मायावती की ओर से भी कही गयी थी। हालाँकि, अब उलटा हो रहा है।
पार्टी पदाधिकारियों पर मायावती की कार्रवाई
बता दें कि लोकसभा चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के बाद मायावती ने एक दिन पहले ही रविवार को छह राज्यों के चुनाव संयोजकों और दो राज्यों के अध्यक्षों को हटा दिया था। उन्होंने उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात और ओडिशा के समन्वयकों को हटा दिया है।
मायावती लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के प्रदर्शन से बहुत नाराज़ थीं। सूत्रों का कहना है कि कई बैठकों के बाद पार्टी में और बदलाव संभव हो सकते हैं। मायावती के इस तेवर से आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही महागठबंधन के टूटने की घोषणा हो सकती है।
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