बीएसपी में लगातार उथल-पुथल का दौर क्यों है? मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार और भतीजे आकाश आनंद को लेकर बड़े फ़ैसले क्यों लिए? जानिए, इस फ़ैसले के पीछे के कारण और इसका उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
मायावती के ताजा कदम ने राजनीतिक दुनिया में हलचल मचा दी है, और एक बार फिर, उनके अप्रत्याशित फैसलों ने हर किसी को बात करने पर मजबूर कर दिया है। पिछले नौ महीनों में, बीएसपी सुप्रीमो ने अपने भतीजे आकाश आनंद के खिलाफ एक बार नहीं, दो बार नहीं, बल्कि तीन बार कार्रवाई की है!
यूपी में जब मजबूत दलित नेतृत्व की जरूर महसूस की जा रही थी, ठीक उसी समय मायावती के राजनीतिक एक्शन ने लोगों को चौंका दिया। आकाश उम्मीद की किरण बनकर आए थे। मायावती ने उनका करियर तो खत्म कर दिया लेकिन खुद को बीएसपी को कहां पहुंचा दिया। पढ़िये राजनीतिक विश्लेषणः
मायावती और राहुल गांधी के बीच तीखी बयानबाजी ने सवाल खड़ा कर दिया है—बीजेपी की 'बी टीम' कौन है, कांग्रेस या बीएसपी? जानिए, इस राजनीतिक विवाद की पूरी कहानी।
लोक जनशक्ति पार्टी (पासवान) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पाससावन ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी दिल्ली चुनाव में उतर सकती है। वो बीजेपी से गठबंधन कर सकती है। अभी तक दलित वोटों के मद्देनजर बसपा दिल्ली में उतरती रही है। लेकिन पहली बार चिराग की पार्टी दिल्ली में उतरने जा रही है। दिल्ली के चुनावी समीकरण को दलित मतदाताओं का बड़ा वर्ग प्रभावित करता रहा है। इस वजह से चिराग का फैसला महत्वपूर्ण हो गया और दिल्ली चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है।
बसपा प्रमुख मायावती ने आरोप लगाया है कि भाजपा और कांग्रेस दलित जातियों का वर्गीकरण करके उन्हें बांट रहे हैं और पूरे दलित समुदाय को कमजोर कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसके जरिये आरक्षण को प्रभावित किया जा रहा है। हालांकि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था, जिसमें दलित समूहों के वर्गीकरण को सही ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सबसे पहले भाजपा ने पहल की। हरियाणा में उसने दलितों जातियों के वर्गीकरण की अधिसूचना जारी कर दी।
हरियाणा में एक भी सीट नहीं मिलने से आहत बहुजन समाज पार्टी ने अब कहा है कि वो भविष्य में किसी भी क्षेत्रीय दल से समझौता नहीं करेगी। बसपा प्रमुख मायावती ने और भी बहुत कुछ कहा, जानिए उनकी राजनीतिः
हाथरस भगदड़ कांड में योगी सरकार की पुलिस ने जो चार्जशीट कोर्ट में पेश की है, उसमें विवादित बाबा सूरजपाल का नाम नहीं है। हालांकि जिस सत्संग में भगदड़ हुई थी, उसका आयोजक वही था और खुद भी मौजूद था। लेकिन भगदड़ के बाद वो वहां से चला गया। चार्जशीट में सेवादारों को आरोपी बनाया गया है। बसपा प्रमुख मायावती ने सूरजपाल का नाम चार्जशीट में नहीं होने पर नाराजगी जताई है। जानिए पूरी बातः
राहुल गांधी के अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण के दिए बयान को आख़िर बीजेपी से लेकर बीएसपी तक क्यों मुद्दा बना रहे हैं? क्या राहुल गांधी का आरक्षण पर विचार बदल गया है या फिर उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है?
राहुल गांधी लगतार पिछड़ों और दलितों की आवाज़ उठा रहे हैं. इसके बाद इन जातियों को राहुल से उम्मीद होने लगी. और उसका असर लोकसभा चुनाव में भी दिखा. लेकिन अब क्या इसे भांपते हुए बीजेपी ने राहुल को रोकने के लिए मायावती को जिम्मा सौंपा है? मायावती अचानक से राहुल पर हमलावर हो गईं. क्या मायावती अब राहुल को ऐसा करके रोक पाएंगीं? नहीं रोक पाईं तो बीजेपी का क्या होगा? इसी विषय पर आज बात करेंगे ‘जनादेश चर्चा’ में.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को निशाना बनाया है। यह नई बात नहीं है। मायावती के टारगेट पर तमाम विपक्षी दल और खासतौर पर कांग्रेस जरूर होते हैं। मायावती खुद विपक्ष में हैं लेकिन उनके निशाने पर केंद्र या यूपी सरकार बहुत नाममात्र को होती है।