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फाइल फोटो

मायावती ने फिर से आकाश आनंद को ही उत्तराधिकारी घोषित क्यों किया?

लोकसभा चुनाव में बीएसपी की बुरी तरह हार के बाद अब फिर से मायावती ने आकाश आनंद को ही अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है। इसके साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर उन्हें बहाल कर दिया गया है। लोकसभा चुनाव में बीएसपी ने एक भी सीट नहीं जीती। लोकसभा चुनाव के बीच ही आकाश को दोनों पद से हटा दिया गया था। तब वह बीजेपी के ख़िलाफ़ काफी आक्रामक थे। 

लोकसभा चुनाव में ख़राब प्रदर्शन की समीक्षा के लिए बीएसपी ने बैठक की। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मेवालाल गौतम ने पुष्टि की कि 2024 के चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा के लिए लखनऊ में आयोजित एक बैठक में आकाश आनंद के मामले में यह निर्णय लिया गया। आनंद सहित सभी राज्यों से पार्टी के सभी राष्ट्रीय पदाधिकारी और नेता मौजूद थे। कुछ रिपोर्टों के अनुसार समीक्षा बैठक से पहले ही कुछ उम्मीदवारों ने आकाश आनंद को बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक के पद से हटाने और चुनाव के बीच में ही प्रचार अभियान से हटने के फ़ैसले को मुस्लिम और दलित वोटों के बसपा से सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर जाने का संभावित कारण बताया था।

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इससे पहले लोकसभा चुनाव के बीच बीएसपी में बड़ा फेरबदल हुआ था। मायावती ने चुनाव में बीजेपी पर हमलावर रहे अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाने का फ़ैसला तक वापस ले लिया था। इसके अलावा आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया गया था। 

अपने इस फ़ैसले को लेकर मायावती ने पार्टी को खड़ा करने और डॉ. भीमराव आंबेडकर के स्वाभिमान के लिए कांशीराम और खुद की मेहनत का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि इस आंदोलन को गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है और इसी के तहत आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उन्होंने तब कहा था कि वह अपना फ़ैसला वापस ले रही हैं। इसके पीछे वजह उन्होंने आकाश आनंद में पूरी परिपक्वता के अभाव को बताया था। 

आकाश आनंद के ख़िलाफ़ मायावती की वह कार्रवाई तब की गई थी जब यूपी में दिया उनका एक भाषण काफी सुर्खियों में था। 28 अप्रैल को सीतापुर में एक चुनावी रैली में आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में आकाश आनंद और चार अन्य के खिलाफ आदर्श आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था।
mayawati reinstates akash anand her successor bsp national coordinator - Satya Hindi
तब उन्होंने कहा था, 'यह सरकार बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और बुजुर्गों को गुलाम बनाती है वह आतंकवादी सरकार है। तालिबान अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चलाता है।' अपने संबोधन में आकाश आनंद ने राज्य में 16,000 अपहरण की घटनाओं की राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का भी हवाला दिया था और सरकार पर महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा देने में विफल रहने का आरोप भी लगाया था। 
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर आकाश आनंद ने आरोप लगाया था कि 'भाजपा चोरों की पार्टी है जिसने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 16,000 करोड़ रुपये लिए।'

2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मायावती ने आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। यह घोषणा पिछले साल दिसंबर महीने में इस लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की एक बैठक के दौरान की गई थी। बसपा प्रमुख ने आकाश को अपना उत्तराधिकारी बनाया और उन्हें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाहर के राज्यों में पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी थी।

आकाश आनंद की राजनीतिक पारी

2016 में बसपा में शामिल होने के बाद आकाश आनंद को 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के स्टार प्रचारकों में शामिल किया गया था। मायावती ने 2019 में अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया था और भतीजे आकाश को राष्ट्रीय समन्वयक बनाया था। 2022 में राजस्थान के अलवर में आकाश आनंद अपनी पदयात्रा के बाद मायावती के सर्कल में दिखने लगे थे। 

वंशवादी राजनीति की हमेशा बड़ी आलोचक रहीं मायावती के लिए तब आकाश आनंद पर फ़ैसला लेना आसान काम नहीं रहा होगा। और इसका अंदाजा मायावती को 2019 में अपने जन्मदिन पर अख़बारों में आई तस्वीरों के बाद लग गया होगा।

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दरअसल, 2019 में मायावती के जन्मदिन पर उनके साथ दिखा एक नौजवान अचानक राष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया था। उसके बारे में हुई तमाम तरह की चर्चाओं पर बीएसपी सुप्रीमो ने तब जवाब दिया था कि वह उनका भतीजा आकाश आनंद है और वह उसे बीएसपी मूवमेंट में शामिल करेंगी। तब आकाश सिर्फ़ 24 वर्ष के थे। 

मायावती ने तब कहा था, ‘मैं कांशीराम की चेली हूँ और जैसे को तैसा जवाब देना जानती हूँ। मैं आकाश को बीएसपी मूवमेंट में शामिल करूँगी और अगर मीडिया के कुछ जातिवादी और दलित विरोधी तब़के को इस पर आपत्ति है तो रहे, हमारी पार्टी को इसकी कोई चिंता नहीं है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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