पिछले साल जून में जब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे और उत्तराधिकारी आकाश आनंद को पहले पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया और एक महीने के अंदर उन्हें पद से हटा दिया। उस समय यह माना गया कि मायावती अब पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए कदम उठा रही है। लेकिन 2 मार्च को जब मायावती ने एक बार फिर आकाश को पद से हटा दिया और सभी जिम्मेदारियां खत्म कर दीं, तो यह बसपा के अस्तित्व पर संकट के रूप में देखा गया। इसे मायावती का आत्मघाती कदम कहा जा रहा है? उनका यह कदम कई सवाल खड़े कर रहा है। यूपी को इस समय मजबूत दलित नेतृत्व की जरूरत है लेकिन मायावती उस तरफ बढ़ने की बजाय कुछ और कर रही हैं।