बहुजन समाज पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से समझौता किया था। लेकिन बसपा को एक भी सीट इस चुनाव में नहीं मिली। बसपा प्रमुख इससे बहुत आहत हैं। उन्होंने पहले हरियाणा के जाटों को कोसा और कहा कि उनके वोट बसपा को ट्रांसफर नहीं हुए, जबकि दलितों के वोट इनेलो या जाट प्रत्याशियों को ट्रांसफर हुए। अब उन्होंने शुक्रवार को अपनी उसी बात का विस्तार करते हुए कहा कि बसपा भविष्य में किसी भी क्षेत्रीय दल से समझौता नहीं करेगी।
बसपा प्रमुख ने शुक्रवार को एक्स पर लिखा- हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम व इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर शुक्रवार को हरियाणा व पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया गया, जबकि भाजपा/एनडीए व कांग्रेस/इंडिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।
मायावती ने लिखा- यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बीएसपी का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने किन्तु उनका वोट बीएसपी को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेन्ट की नुकसान को बचाना जरूरी है।
उन्होंने कहा- बीएसपी विभिन्न पार्टियों/संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ’बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक।
हालांकि मायावती ने यह भी कहा- यूपी के जाट समाज के लोगों ने अपनी जातिवादी मानसिकता को काफी हद तक बदला है और वे बीएसपी से एमएलए तथा सरकार में मंत्री भी बने हैं। हरियाणा प्रदेश के जाट समाज के लोगों को भी उनके पदचिन्हों पर चलकर अपनी जातिवादी मानसिकता को जरूर बदलना चाहिए, यह खास सलाह।
मायावती इस तरह के आरोप हर चुनाव के बाद जरूर लगाती हैं। यूपी चुनाव के बाद उन्होंने कहा था कि टिकट देने के बावजूद एक खास समुदाय (मुस्लिम) के लोगों ने बसपा को वोट नहीं दिया। उनका कहना है कि सपा और कांग्रेस मुसलमानों का भला नहीं कर सकते। लेकिन खास समुदाय बसपा को वोट नहीं दे रहे हैं।
अपनी राय बतायें