राहुल गांधी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा संपन्न हो चुकी है। इस यात्रा में राहुल गांधी ने डलास और वॉशिंगटन डीसी में भारतवंशियों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों और विद्यार्थियों से संवाद किया। जैसा कि पहले से ही अनुमान था कि राहुल गांधी के वक्तव्य का भारतीय जनता पार्टी विरोध करेगी। पहले की तरह राहुल गांधी के बयानों पर भाजपा की प्रतिक्रिया आक्रामक ही नहीं, बल्कि द्वेषपूर्ण भी रही। राहुल गांधी ने अमेरिका में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बात की। राहुल गांधी के बारे में यह बात कही जाती है कि वे सिर्फ आचरण में ही नैतिक नहीं हैं बल्कि अपने भाषणों में भी बेहद ईमानदार हैं। राहुल गांधी राजनीतिक नफा-नुक़सान भूलकर बौद्धिक और तार्किक ढंग से बात करते हैं। इन दिनों वे आरक्षण और जाति जनगणना के मुद्दे पर बेहद स्पष्ट और मुखर हैं। अमेरिका में भी राहुल गांधी ने आरक्षण पर अपनी राय व्यक्त की।

राहुल गांधी के अमेरिका यात्रा के दौरान आरक्षण के दिए बयान को आख़िर बीजेपी से लेकर बीएसपी तक क्यों मुद्दा बना रहे हैं? क्या राहुल गांधी का आरक्षण पर विचार बदल गया है या फिर उनके बयान को तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है?
आरक्षण ख़त्म करने के बारे में एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा कि असमानता और सामाजिक भेदभाव ख़त्म होने के बाद आरक्षण को समाप्त करने पर विचार किया जा सकता है। लेकिन अभी भारत में ऐसी स्थिति नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के इस बयान पर तूफ़ान खड़ा कर किया। अमित शाह ने ट्वीट करके कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी आरक्षण विरोधी हैं। कांग्रेस दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का आरक्षण ख़त्म करना चाहती है। लेकिन जब तक भारतीय जनता पार्टी है तब तक कोई आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता। यह बयान कितना खोखला है, यह भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस की विचारधारा और मंसूबों से समझा जा सकता है।
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।