हमें, भारत के लोगों को घृणा और हिंसा की आदत डाली जा रही है। इस हिंसा के संदर्भ में तीन तरह के लोगों में भारतीय समाज बँट गया है। एक जो घृणा के प्रचार और हिंसा में शामिल हैं। इसमें भी दो तरह के लोग हैं। एक जो इसकी योजना बनाते हैं और सुरक्षित रहते हैं, दूसरे, जो इसमें सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। जिन्हें इस हिंसा के आयोजन का पूरा संदर्भ पता नहीं लेकिन जो मानते हैं कि इसका निर्णय उन्होंने ही किया है।