चेन्नई की घटना है। कश्मीर में मानवाधिकार के प्रश्न पर एक सभा से वापस होटल जाना था। टैक्सी ली। होटल के रास्ते को समझने के लिए ड्राइवर से अंग्रेज़ी में बातचीत शुरू की। उसने उस ज़ुबान में जवाब दिया जो दिल्ली की टैक्सी में इस्तेमाल की जाती है। आश्चर्यमिश्रित प्रसन्नता हुई। पूछा, आप हिंदी बोल रहे हैं। जवाब मिला, 'उर्दू है साहब।' फिर हमने साथ-साथ रास्ता तय किया। एक उत्तर भारतीय हिंदी भाषी को तमिलभाषी चेन्नै उर्दू ने मंजिल तक पहुँचाया।