‘राज्य दफा हो जाए!... राज्य की समूची अवधारणा का मूलोच्छेद कर दो, मुक्त चयन और आत्मिक बंधुता को ही किसी एकता की एकमात्र सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शर्तें होने की घोषणा करो, और तभी तुम एक ऐसी आज़ादी की शुरुआत करोगे जिसकी कोई सार्थकता होगी।’