अशोका यूनिवर्सिटी से प्रोफ़ेसर प्रताप भानु मेहता के इस्तीफे के बाद उच्च शिक्षा संस्थानों में/की आज़ादी के प्रश्न पर बहस चल ही रही है। लेकिन अंग्रेज़ी में। अकादमिक स्वतंत्रता हिंदी का विषय नहीं है। इसके कई कारण हैं। एक तो यह कि अशोका विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की चिंता भी हिंदी नहीं रही है। यहाँ हिंदी से तात्पर्य राजभाषा नहीं है बल्कि एक भारतीय भाषा है कहने को।