दिल्ली को पूरी तरह अपने अँगूठे के नीचे लाने के लिए केंद्र सरकार ने जो क़ानूनी संशोधन प्रस्तावित किया है उसका सबसे पहला विरोध उमर अब्दुल्ला ने किया। उमर ने एक सिद्धांत के पक्ष में आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा कि हालाँकि 2019 में ‘आप’ ने जम्मू-कश्मीर को टुकड़े-टुकड़े करने और उसका दर्जा घटा देने का समर्थन किया था लेकिन हम दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियों पर इस हमले की भर्त्सना करते हैं। दिल्ली को इसका हक है कि वह एक पूर्ण राज्य रहे जिसमें जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार के पास सारी ताकत हो न कि केंद्र द्वारा नामित एक लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास।
दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार की साम्राज्यवादी लालसा
- वक़्त-बेवक़्त
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- 22 Mar, 2021

सत्ता में आने के बाद संघीय सहकार जैसे चतुर शब्दों का जाप करने के बाद सरकार ने एक के बाद एक ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे संघीय भावना धीरे-धीरे क्षरित होती गई है। बीजेपी की “साम्राज्यवादी” और “विस्तारवादी” विचारधारा हर प्रदेश को अपने उपनिवेश में बदल देना चाहती है।
याद रहे कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के साथ ही उसे तोड़कर पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया था। उस वक्त केंद्र सरकार का समर्थन करने वाले पहले लोगों में अरविन्द केजरीवाल थे। उस इलाके में शान्ति और प्रगति या विकास के लिए केंद्र सरकार के इस कदम को अनिवार्य बताया गया था।