प्रसिद्ध चिन्तक प्रताप भानु मेहता ने अपने हालिया लेख में इस बात पर चिन्ता जताई है कि धार्मिक जुलूसों की आड़ में देश किस तरफ बढ़ रहा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि साम्प्रदायिकता पर लिखना अब फिजूल बात हो गई है। वो चिन्तित हैं कि विचाराधारत्मक हिंसा का मुकाबला करने कोई सामने नहीं आ रहा है।
अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफ़ा देने के बाद राजनीतिक विश्लेषक व लेखक प्रताप भानु मेहता ने छात्रों के नाम लिखी एक चिट्ठी में उन्हें 'सुपर हीरो' क़रार दिया है। दूसरी ओर, उनके इस्तीफ़े पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा झेलने के बाद विश्वविद्यालय ने यह माना है कि 'कुछ त्रुटियाँ हुई हैं।'
Satya Hindi News bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। पश्चिम बंगाल चुनाव के बीच टीएमसी नेता तो एजेंसियों के निशाने पर पहले से ही हैं और अब ममता सरकार के अफसर भी निशाने पर आ गए हैं. अब ममता सरकार के 6 अफ़सरों को सीबीआई-ईडी का समन भेजा गया है।
कोलंबिया, येल, हॉर्वर्ड, प्रिन्सटन, ऑक्सफ़र्ड और कैंब्रिज विश्वविद्यालयों जैसे नामचीन संस्थाओं के लगभग 150 लोगो ने प्रताप भानु मेहता के इस्तीफ़े पर अपना विरोध प्रकट किया है।
अशोक विश्वविद्यालय में एक के बाद एक प्रोफेसरों के इस्तीफे से सवाल उठ रहे हैं कि क्या विश्वविद्यालय किसी राजनीतिक दबाव में है? यह सवाल तब उठा जब राजनीतिक विश्लेषक व लेखक प्रताप भानु मेहता ने इस्तीफा दिया।
लेखक प्रताप भानु मेहता के बाद मशहूर अर्थशास्त्री अरविंद सुब्रमणियन ने भी अशोका यूनिवर्सिटी से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने मेहता के इस्तीफ़े को इसकी वजह बताते हुए कहा कि अशोका यूनिवर्सिटी में अब अकादमिक अभिव्यक्ति व स्वतंत्रता की जगह नहीं बची है।
लेखक व बुद्धीजीवी प्रताप भानु मेहता ने भारतीय न्यायपालिका के मौजूदा संदर्भ में लोकतांत्रिक बर्बरता का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट कभी भी संपूर्ण नहीं रहा, पर वह अब न्यायिक बर्बरता की ओर बढ़ रहा है। क्या है मामला, पढ़ें यह लेख।