नरेंद्र मोदी ने हरिद्वार की 'धर्म संसद के संदेश को अपनी भाषा में फिर से प्रसारित किया। लोग इस पर क्षुब्ध थे कि भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने, संघीय सरकार के किसी मंत्री ने, प्रधान मंत्री और गृह मंत्री की तो बात ही छोड़ दीजिए, हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' में मुसलमानों के कत्लेआम के ऐलान की निंदा नहीं की है। यह समझने में कोई दिक़्क़त न हो कि इस धर्म संसद और भाजपा की राजनीति में क्या रिश्ता है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ के लखपत गुरुद्वारे से बोलते हुए कहा, “सिख गुरुओं ने जिन खतरों से आगाह किया था, वे उसी रूप में आज भी मौजूद हैं।"
ज़हर निकलने के स्रोत को बंद करना होगा!
- वक़्त-बेवक़्त
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- 28 Dec, 2021

प्रधानमंत्री जो कूट भाषा में बोल रहे हैं, धर्म गुरु उसे उनके अनुयायियों को सीधे-सीधे समझा रहे हैं। मोदी खतरे को प्रतीकों में पेश कर रहे हैं। वे प्रतीक हैं बाबर, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, अब्दाली, नादिर शाह। वे आखिर किनके प्रतीक हैं? और जिनके प्रतीक वे हैं, उनके साथ क्या वही नहीं किया जाना है जो गुरु तेग बहादुर, सुहेल देव ने किया?
आगे मोदी ने कहा, "गुरु तेग बहादुर के त्याग और औरंगज़ेब के खिलाफ उनके वीरतापूर्ण कृत्यों ने हमें सिखलाया है कि आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद से देश को कैसे लड़ना चाहिए।"
यह वक्तव्य, जो एक धार्मिक अवसर पर, एक धार्मिक स्थल से दिया जा रहा था, मोदी ने बार-बार मुग़लों, मुसलमान शासकों के अत्याचारों और सिख गुरुओं के उनके खिलाफ संघर्ष की चर्चा की: "उनके ( मुगलों) शासन के दौरान इतने अत्याचार हुए कि सिख गुरुओं ने देश के लिए अपने प्राण देने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं दिखलाई।"