शनिवार को स्वर्ण मंदिर अपवित्र किया गया। गुरुओं के अनुयायियों के द्वारा। उन्होंने उनके बंदे की जान ली, इस खुदाई के मालिक की एक रचना को तोड़ दिया। एक इंसान का खून इंसानों ने उस मुक़द्दस ज़मीन पर गिराया जो सिवा उसको, जो सबके ऊपर है और सबसे बड़ा है, याद करने के और किसी के लिए नहीं। कम से कम इंसान की अपनी शान या ताकत दिखलाने के लिए तो नहीं ही। लेकिन शनिवार को यही किया गया जब गुरु के बन्दों ने एक दूसरे शख्स को, जो गुरु का ही बंदा होगा, पीट पीटकर मार डाला।
बेअदबी कांड: सबसे ऊपर मनुष्य है, उससे बड़ा सत्य कुछ और नहीं
- वक़्त-बेवक़्त
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- 28 Dec, 2021

पंजाब में किसी में साहस नहीं कि वह इस बेअदबी की राजनीति पर एक शब्द बोल सके। क्योंकि सब मानते हैं कि सिखों के लिए यह बहुत संवेदनशील मसला है। कोई यह नहीं कहता कि अगर किताब पवित्र है तो उसकी बेअदबी कोई इंसान चाहकर भी नहीं कर सकता।
इस अंदेशे में कि वह वहाँ पवित्र ग्रंथ की बेअदबी करने के इरादे से गया था। मैं अखबारों को पलट रहा था जानने के लिए कि जो मारा गया उसका नाम क्या था। सिर्फ एक समाचार मंच पर मालूम हुआ कि वह उत्तर प्रदेश का था लेकिन कहीं उसका नाम नहीं।
चंडीगढ़ से प्रकाशित होनेवाले अखबार ट्रिब्यून ने लिखा कि जब रोज़ाना की शाम की प्रार्थना, रेहरास पाठ के समय अचानक बिखरे बालों वाला एक शख्स उस बाड़ को फांद गया जिसके अंदर गुरु ग्रन्थ साहब का 'परकाश' विराजमान है।