“हमें इस घटना पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि हमारा देश तबाही की खाई के कगार पर खड़ा है। हम अब उस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां हम भीड़ की हिंसा और सड़क के इंसाफ़ को वाजिब ठहराने के लिए धर्म का नाम ले रहे हैं; संविधान, कानून और राज्य का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।’'
लिंचिंगः भारत का मजबूत विपक्ष अपने गिरेबान में कब झांकेगा, कब बोलेगा
- वक़्त-बेवक़्त
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- 24 Jun, 2024

भारत में लिंचिंग की घटनाएं चुनाव के बाद अचानक बढ़ गईं। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में लिंचिंग की घटना होने पर वहां के सत्ता पक्ष और विपक्ष इसके विरोध में खड़े होते हैं। वहां के प्रमुख अखबार संपादकीय लिखते हैं। लेकिन भारत में अब विपक्ष मजबूत होने के बावजूद लिंचिंग पर बोलने से कतरा रहा है। मीडिया ने ऐसी घटनाओं का नोटिस लेना छोड़ दिया है। जाने माने स्तंभकार अपूर्वानंद पूछ रहे हैं यह किस किस्म का समाज हैः