“हमें इस घटना पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि हमारा देश तबाही की खाई के कगार पर खड़ा है। हम अब उस बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां हम भीड़ की हिंसा और सड़क के इंसाफ़ को वाजिब ठहराने के लिए धर्म का नाम ले रहे हैं; संविधान, कानून और राज्य का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं।’'