विपक्षी दलों और अपने सहयोगियों की आलोचना के बाद भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश सरकार ने तय किया कि जो आदेश पहले मात्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए था अब वह पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।यह आदेश है दुकानदारों को अपना और अपने कर्मचारियों का नाम प्रमुखता से बाहर प्रदर्शित करने का। कारण यह बतलाया जा रहा है कि काँवड़ यात्रा के दौरान काँवड़ियों के आचार-व्यवहार की शुचिता सुनिश्चित करने के लिए यह ज़रूरी है कि उन्हें मालूम हो कि वे सही जगह से सामान ख़रीद रहे हैं या नहीं। ख़ासकर खाने-पीने का। इस आदेश का विरोध करने पर तर्क दिया गया कि काँवड़ियों को यह जानने का अधिकार है वैसे ही जैसे मुसलमान जानना चाहते हैं कि जो चीज़ वे ख़रीद रहे हैं वह हलाल है या नहीं।
दुकानों, ठेलों पर नाम से लेकर हलाल तकः और कितना गिर सकता है राज्य
- वक़्त-बेवक़्त
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- 22 Jul, 2024

भाजपा अपने सहयोगियों की धर्मनिरपेक्ष छवि की परवाह किए बिना भारत को हिन्दू राष्ट्र में बदलने वाले फैसले तेजी से ले रही है। अभी जब हिटलर के नक्शे कदम पर चलते हुए यूपी में दुकानदारों को अपने नाम के जरिए मजहब बताना अनिवार्य कर दिया गया और देश में उस पर बहस हो रही थी। ठीक उसी समय सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की शाखाओं, कार्यक्रमों में जाने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया। जाने-माने चिंतक अपूर्वानंद कहते हैं- ''भारतीय राज्य कह रहा है कि वह जितना गिरा है उससे और नीचे गिर सकता है।'' पढ़िए उनका यह विचारोत्तेजक लेखः