दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपनी आपातकालीन शक्ति का प्रयोग करते हुए विधि संकाय द्वारा स्नातक स्तर पर ‘मनु स्मृति’ पढ़ाए जाने के लिए के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है। यह इतना असाधारण मसला था कि उन्हें यह बताने के लिए वीडियो वक्तव्य जारी करना ज़रूरी लगा। लेकिन यह फ़ैसला उन्होंने ख़ुद लिया या संघीय सरकार के शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निर्देश पर उन्हें यह करना पड़ा, इसे लेकर अटकलबाज़ी का कारण है। इस अटकल की वजह ख़ुद धर्मेंद्र प्रधान का बयान है। मनुस्मृति को पढ़ाए जाने के प्रस्ताव की जब चारों तरफ़ आलोचना होने लगी तब धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ऐसी विवादास्पद चीज़ों को पढ़ाने का सवाल ही नहीं पैदा होता। उन्होंने कहा कि उनकी कुलपति से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि इसे विद्वत् परिषद तक पहुँचने के पहले ही रद्द किया जा चुका है।
मनुस्मृति पर दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक स्वायत्तता घायल हुई
- वक़्त-बेवक़्त
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- 29 Mar, 2025

दिल्ली यूनिवर्सिटी में मनुस्मृति पढ़ाने की कोशिश केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कुलपति ने मिलकर नाकाम कर दी। लेकिन स्तभंकार अपूर्वानंद को लगता है कि इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता प्रभावित हुई। लेकिन ऐसा कहने के पीछे उनके तर्क हैं। आप भी जानिए कि चिंतक अपूर्वानंद की इस विषय पर क्या राय हैः