बीसवें साल की शुरुआत। 2002 से 2021। बीस साल बहुत होते हैं। एक पूरी पीढ़ी जवान हो जाती है, एक अधेड़ हो जाती है और एक ढल जाती है। एक व्यक्ति के जीवन के लिए यह अवधि कम नहीं है। राष्ट्र के लिए शायद यह सागर में बूँद की तरह है। इसलिए कुछ लोग ऐतिहासिक और दार्शनिक रुख लेकर कहते हैं कि इतनी छोटी अवधि के आधार पर किसी समाज के बारे में कोई समझ नहीं बनानी चाहिए, कोई निर्णय नहीं करना चाहिए। वे एक तरह से ठीक कहते हैं। लेकिन एक व्यक्ति का जीवन इस बीच पूरी तरह बदल गया होता है। लेकिन भारत के संदर्भ में कहा जा सकता है कि 2002 को उसकी ढलान पर फिसलन शुरू हुई, वह अब इतनी तेज़ हो गई है कि वह खाई में गिर चुका है या उससे बच सकता है, यही अब तय करना बाक़ी रह गया है।