हरियाणा सरकार ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय आबादी के लिए 75% जगहें आरक्षित करने का निर्णय लिया है। यह उन कामों के लिए है जिनमें तनख़्वाह 50,000 रुपए तक है। यह निर्णय संविधान विरुद्ध तो है ही, राजनीतिक और सामाजिक रूप से यह कड़वाहट और उत्तेजना पैदा करने वाला है। हरियाणा सरकार का कहना है कि राज्य में बेरोज़गारी को देखते हुए यह फ़ैसला लेना ज़रूरी था। साथ ही यह तर्क भी दिया जा रहा है कि इस स्तर के काम के लिए बाहर से काम करने के लिए आने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह किया गया है। इससे स्थानीय संसाधनों पर दबाव भी कम होगा। झुग्गी झोपड़ी से भी बचा जा सकेगा। यानी उन लोगों से राज्य को बचाया जा सकेगा जो उसे गंदा करते हैं।
निजी क्षेत्र में आरक्षण- बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति!
- विचार
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- 6 Mar, 2021

स्थानीय और अपने या भीतरी लोगों को स्कूल, कॉलेज आदि में भी आरक्षण देने का नारा बीच बीच में दूसरे दल भी देते रहे हैं। दिल्ली के कॉलेजों में स्थानीय आरक्षण की माँग आम आदमी पार्टी कर चुकी है। लेकिन जब भी ऐसा किया जाता है, मानना चाहिए कि सरकार नौकरी के मौक़े पैदा करने या शिक्षा में नया निवेश करने में नाकामयाब रही है और पहले से मौजूद अवसरों में ही बंदर बाँट करना चाहती है।