रक्षा कुमार की 'हिंदू' अख़बार में छपी रिपोर्ट किसी भी कहानी से बढ़कर है। वह एक यथार्थ ग्राम की कथा है। बिहार के पूर्वी चम्पारण के चकिया प्रखंड के एक छोटे से गाँव की कृष्णा देवी की कहानी। रिपोर्टर न तो गाँव का नाम बता पाती हैं और न कृष्णा देवी का ही असल नाम। ऐसा करना उनके लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है। लेकिन आगे जो कुछ रक्षा लिखती हैं, वह मुक्तिबोध के शब्दों में ‘कथा नहीं है, सब सच है।’