केरल के महात्मा गांधी विवि में स्कॉलर दीपा पी मोहनन सात साल में भी पीएचडी पूरा नहीं करने के लिए एक प्रोफेसर पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाती रहीं, लेकिन जब भूख हड़ताल की तब कार्रवाई हुई।
रिपोर्ट बताती है कि बहुत सारी दलित औरतों ने पाया कि ज़मीन के काग़ज़ पर से उनके नाम हट गए हैं और उनके मालिक अब गाँव के दबंग जातियों के लोग हैं। क्यों है ऐसी स्थिति?