स्कूलों में प्रार्थना हो या नहीं? यह बहस एक बार फिर छिड़ गई है। संदर्भ है पीलीभीत के एक स्कूल के हेडमास्टर का निलंबन इस आरोप के बाद कि वह छात्रों को एक धार्मिक प्रार्थना करने को मजबूर कर रहे थे। मालूम हुआ कि यह मदरसे की प्रार्थना वास्तव में इक़बाल की लिखी मशहूर दुआ है जिसे सुनते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हुई हैं, मुसलमान और ग़ैर मुसलमान दोनों और किसी को कोई ऐतराज़ कभी न हुआ। किसी ग़ैर मुसलमान का धर्म इस दुआ, या प्रार्थना को सुनकर या गाकर भ्रष्ट हुआ हो यह शिकायत किसी ने नहीं की। लेकिन हम एक अजीब से वक़्त में हैं जिसमें प्रेम और सद्भाव के शब्द सुनकर एक पक्ष हिंसा पर उतारू हो जाता है।