“अन्ना हजारे से मेरा पहला आमना सामना तब हुआ जब 1998 में मशहूर ट्रेड यूनियन नेता बाबा आढव के कहने पर मैं उपवास पर बैठे अन्ना हजारे को उपवास के 13वें दिन देखने गया। उस समय उनके एक क़रीबी कार्यकर्ता और रिश्तेदार ने मुझे ग्लूकोज़ और इलेक्ट्रोलाईट पाउडर की पुड़िया दिखाईं और बताया कि वह रोज़ अन्ना को ये दोनों दे रहा है और पूछा कि क्या मात्रा काफ़ी थी। यह सुनकर मैं हैरान हो गया। मैं सत्याग्रह और उपवास के गाँधीवादी तरीक़े से परिचित था  क्योंकि मेरे पिता और दो मामा स्वाधीनता सेनानी थे।”