पहले की तरह इस बार के `इंडिया हैबिटेट सेंटर नाट्य समारोह’ में कई भाषाओं के नाटक हो रहे हैं। यहां पर सिर्फ उन दो हिंदी नाटकों की चर्चा होगी जो इसमें खेले गए। पहला है मानव कौल द्वारा निर्देशित, अभिनीत और लिखित `त्रासदी’ और दूसरा है सपन सरन द्वारा लिखित और श्रीनिवास बिसेट्टी द्वारा निर्देशित `वेटिंग फॉर नसीर’।
`त्रासदी’ और नसीर का इंतजार
- विविध
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- 27 Sep, 2024

पढ़िए, मानव कौल द्वारा निर्देशित, अभिनीत और लिखित `त्रासदी’ और सपन सरन द्वारा लिखित और श्रीनिवास बिसेट्टी द्वारा निर्देशित `वेटिंग फॉर नसीर’ नाटक का मंचन कैसा रहा।
`त्रासदी’ मां से जुड़ी भावना पर आधारित है। यानी मां के प्रति बेटे के लगाव की कहानी। हिंदी सिनेमा में भी मां का चरित्र काफी चर्चित रहा है। `दीवार’ फिल्म का संवाद- `मेरे पास मां है’ एक लोकप्रिय मुहावरा बन गया और गागे बगाहे लोग इसका आम बोलचाल में भी इस्तेमाल करते हैं। ये नाटक भी पूरी तरह एक बेटे की निगाह में उसकी मां की चरितगाथा है। और गौरवगाथा भी। मानव कौल ने इसमें एक ऐसे बेटे का चरित्र निभाया है जो बरसों से मुंबई शहर में रह रहा है। उसकी मां गांव में रहती है। जिंदगी में कई तरह के मोड़ आते हैं और मां के प्रति बेटे की भावना में भी कई तरह के पेचोखम भी आते रहते हैं। लेकिन मां के निधन के बाद बेटे के मन के भीतर उमड़ने-घुमड़ने वाले जज्बात कई तरह के उथल पुथल मचाने लगते हैं।