ऑटिज़्म (माफ करेंगे इसके लिए मुझे कोई सटीक हिंदी शब्द नहीं मिला लेकिन ये मनोवैज्ञानिक तौर पर कुछ अलग मानसिक क्षमता वालों के लिए प्रयोग में लाया जाता है) को लेकर हाल के बरसों में कला जगत में- यानी फिल्मों से लेकर नाटकों में - संवेदनशीलता उभरी है। कुछ साल पहले आमिर खान केंद्रित `तारे जमीन पर’ इसी तरह की फिल्म थी जिसमें ये दिखाया गया था कि कुछ बच्चे अलग तरह से सामान्य होते हैं और हो सकता है कि जिसकी पढ़ाई में मन न लगे, या माता-पिता की नज़र में फिसड्डी हो, वो बतौर पेंटर अच्छा हो। ये वाली समझ और संवेदनशीलता नाटकों में भी आ रही है। इसी हफ्ते दिल्ली के कमानी सभागार में आद्यम थिएटर फेस्टिवल के दौरान खेले गए नाटक `द क्यूरियस इंसीडेंट ऑफ़ द डॉग इन द नाइट- टाइम’ में भी ये चेतना देखने को मिली। ये अतुल कुमार द्वारा निर्देशित नाटक है।
ऑटिज़्म के प्रति नज़रिया बदल देगा ये नाटक!
- विविध
- |
- |
- 13 Jan, 2025

दिल्ली के कमानी सभागार में आद्यम थिएटर फेस्टिवल के दौरान अतुल कुमार द्वारा निर्देशित नाटक `द क्यूरियस इंसीडेंट ऑफ़ द डॉग इन द नाइट- टाइम’ का मंचन किया गया। पढ़िए, रवीन्द्र त्रिपाठी की समीक्षा।
वैसे ये नाटक इंग्लैंड और अंग्रेजी के उपन्यासकार मार्क हेडन के इसी नाम की इसी रचना का नाट्य रूंपातर है। अंग्रेजी में इसका रूपांतर साइमन स्टीफेंस ने किया है। ये हाल के बरसों में इंग्लैंड और अमेरिका के नाट्य समारोहों में खेला जा चुका है। पर अतुल कुमार ने जो नाटक किया वो मुंबई के केंद्र में रूपांतरित है यानी इसमें जगहों के नाम आते हैं वो मुबंई की है। संवाद मुख्य रूप से अंग्रेजी में हैं पर हिंदी में भी है, खासकर मुंबइया हिंदी में। हालांकि नाटक संवाद से अधिक एक्शन में है।