रूसी नाटककार एंटन चेखव का नाटक `थ्री सिस्टर्स’ (तीन बहनें) हिंदी में भी बरसों से हो रहा है। इस बार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के तीसरे और अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए यहां की पूर्व छात्रा और चर्चित अभिनेत्री- रंगकर्मी मीता वसिष्ट ने इसका निर्देशन किया है। लगभग सवा सौ साल पहले, सन् 1900 में लिखा गया ये नाटक यथार्थवाद की दृष्टि से अहम रचना मानी जाती है। यथार्थवादी अभिनय सीखने- सिखाने के लिए एक संदर्भ भी। तत्कालीन रूस के अत्यंत प्रतिष्ठित निर्देशक स्तानिस्लावस्की ( जो आगे चलकर पूरी दुनिया में अभिनय गुरु बन गए) ने इसके लिखे जाने के तुरत बाद ही इसका निर्देशन किया था। वे और चेखव गहरे मित्र थे। हालांकि चेखव को स्तानिस्लावस्की के निर्देशन में हुई `थ्री सिस्टर्स’ की प्रस्तुति पसंद नहीं आई थी। चेखव का कहना था कि ये उदासी का नाटक है और स्तानिस्लावस्की ने इसमें आशा के तत्व पिरो दिए हैं।
ऐसा `थ्री सिस्टर्स’ नहीं देखा!
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- 21 Jul, 2024

रूसी नाटककार एंटन चेखव के नाटक `थ्री सिस्टर्स’ का एनएसडी के छात्रों ने मंचन किया। पढ़िए, इसकी समीक्षा।
ये अवांतर प्रसंग लग सकता है लेकिन यहां इसलिए बताया गया है कि ये एक जटिल नाटक है और इसीलिए हर निर्देशक के लिए चुनौती भी कि इसे किस तरह पेश करे। सवा सौ बरसों के विश्व रंगमंच के इतिहास में इस नाटक को कई देशों और भाषाओं में खेला गया है लेकिन ये सवाल तो हमेशा रहा है कि इसको उदासी और आशा के छोरों के बीच कहां रखें? मीता वसिष्ट ने इसमें दोनो छोरों के बीच एक संतुलन बनाए रखा है। यानी यहां भीतर निहित उदासी तो बरकरार रखी गई है लेकिन जिस तरह इसका अंत किया है उसमें मद्धिम आशा की लौ भी व्यक्त होती है।