इब्राहीम अल्काज़ी (1925- 2020) भारतीय रंगमंच के अत्यंत चर्चित और ऐतिहासिक व्यक्तित्व हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (आगे से रानावि) के निदेशक के रूप में उनकी ख्याति, प्रतिष्ठा और योगदान से देश का कोई रंगप्रेमी शायद ही अपरिचित होगा। वे एक एक लीजेंड हैं। आधुनिक भारतीय रंगमंच के निर्माताओं में वे अग्रगण्य हैं। रंगमंच- प्रशिक्षण के क्षेत्र में उनका स्थान एक ऐसे पितामह की तरह है जिनका ज़िक्र उन नाट्य- संस्थानों, नाट्य - कार्यशालाओं और रंग मंडलियों के रिहर्सलों में भी होता है जिनके संचालकों ने कभी उनको देखा भी नहीं। उनके क़िस्से आज भी रानावि के गलियारों ने सुनाई देते हैं। नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, राज बब्बर, ओम पुरी, पंकज कपूर, मनोहर सिंह, सुरेखा सीकरी, उत्तरा बावकर, ओम शिवपुरी, बवकारंत, मोहन महर्षि, राम गोपाल बजाज, भानु भारती, प्रसन्ना, रंजीत कपूर, एम के रैना, बंसी कौल, देवेंद्र राज अंकुर जैसे कई अभिनेता और निर्देशक उनके शिष्यों में रहे। `मैं अल्काज़ी का शिष्य रहा हूं’- जैसे वाक्य प्रमाण- पत्र की तरह आज भी कई वरिष्ठ रंगकर्मी बोलते हैं। अल्काज़ी भारतीय रंगमंच में एक ऐसे वटवृक्ष की तरह रहे और हैं जिसकी शाखाएं भी बड़े वृक्ष के रूप में तब्दील हो गई हैं।
इस अल्काज़ी को भी जानिए
- साहित्य
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- 28 Jul, 2024

अल्काज़ी की एक जीवनी – `इब्राहीम अल्काज़ी : होल्डिंग टाइम कैप्टिव’ आई है जिसे उनकी पुत्री और शिष्या अमाल अल्लाना ने लिखा है। जानिए अलकाज़ी का कैसा चित्रण किया गया है पुस्तक में।
इन्हीं अल्काज़ी की एक जीवनी – `इब्राहीम अल्काज़ी : होल्डिंग टाइम कैप्टिव’ आई है जिसे लिखा है उनकी पुत्री और शिष्या अमाल अल्लाना ने जो देश की एक वरिष्ठ व सम्मानित रंग- निर्देशक हैं। पेंग्विन- विंटाज से प्रकाशित साढ़े छह सौ पृष्ठों की ये जीवनी सिर्फ एक व्यक्ति की कथा नहीं है बल्कि एक इतिहास भी है और एक लंबा नाटकीय आख्यान भी। एक ऐसा इतिहास जिसके माध्यम से आप आधुनिक भारतीय रंगमंच के कई भूले- बिसरे मुद्दों के बारे में भी जानते हैं और साथ ही आधुनिक यूरोपीय रंगमंच की कुछ बहसों से भी परिचित होते हैं। और ये एक ऐसा नाटकीय आख्यान भी है जिसमें आप फ्रांसिस न्यूटन सूजा, मकबूल फिदा हुसेन जैसे आधुनिक भारतीय कला के दिग्गजों से भी मिलते हैं व मुल्कराज आनंद और निसिम एजेकिल जैसे साहित्यकारों से भी। आप उन मसलों से भी टकराते हैं जो नाटक की दुनिया में उठती रही हैं या उसे आंदोलित करती रही हैं।