महात्मा गांधी भारत के ही नहीं, दुनिया के उन ऐतिहासिक व्यक्तित्वों में हैं जिनके जीवन और दर्शन की आभा लगातार विस्तृत होती जा रही है। हालांकि समांतर रूप से एक और तथ्य ये भी है कि जिस भारत में उनका जन्म हुआ और जिसकी आजादी की लड़ाई के वे सबसे अग्रणी शख्सियत थे वहीं ठीक आजादी के बाद उनकी उनकी हत्या हुई और आज भी उनके खिलाफ विषवमन चलता रहता है। पर शायद मानव इतिहास की यही विडंबना है कि नायकों को प्रतिनायक बनाने की कोशिशें भी होती रहती हैं और असत्य सत्य पर हावी होने में लगा रहता है। भारत और दुनिया को अहिंसा का प्रथम पाठ पढ़ाने वालों में से एक गौतम बुद्ध के विरुद्ध अभियान का सिलसिला आज भी चल रहा है और प्रेम व करूणा की मूर्ति ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया।
महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ दुष्प्रचारों को ध्वस्त करता नाटक
- विविध
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- 13 Oct, 2024

महाराष्ट्र के चंद्रपुर की लोकजागृति संस्था ने पिछले दिनों दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में अनिरुद्ध वनकर ने `गांधी कभी मरते नहीं’ नाटक खेला। जानिए, इस नाटक में गांधी के ख़िलाफ़ दुष्प्रचारों पर कैसी चोट की गई है।
पर ये भी सच है कि जनचेतना के मन में न कभी बुद्ध मरेंगे, न ईसा और न गांधी। इसी धारणा को लेकर महाराष्ट्र के चंद्रपुर की लोकजागृति संस्था ने पिछले दिनों दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में अनिरुद्ध वनकर ने `गांधी कभी मरते नहीं’ नाटक खेला। वैसे, चंद्रपुर का इलाका झाड़पट्टी नाट्य शैली का बड़ा केंद्र रहा है पर वहां इस तरह के नाटक भी होते हैं। और वो भी हिंदी में। इसे भी गौर किया जाना चाहिए।
युवा रंगकर्मी संगीता टिपले (हीरामन) द्वारा लिखित इस नाटक में गांधी के जीवन के कई अध्याय हैं। पर संक्षिप्त रूप में।