स्वच्छ पर्यावरण का मौलिक अधिकार हमें संविधान देता है और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण भी लगातार इसकी वकालत करता रहा है। हमारे प्रधानमंत्री पर्यावरण सुरक्षा को 5000 साल पुरानी परंपरा बताते नहीं थकते। इन सबके बीच हक़ीकत यह है कि इसी देश के नए संस्करण, न्यू इंडिया में अवैध खनन, जंगलों के कटने, बांधों के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले, साफ़ पानी और साफ़ हवा की माँग करने वालों पर पुलिस, भूमाफिया और सरकारी संरक्षण प्राप्त हत्यारे गोली चलाते हैं, कभी ट्रैक्टर चढ़ाते हैं या फिर सड़क दुर्घटना करवाते हैं। इस न्यू इंडिया में यह सब इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है कि दुनियाभर में पर्यावरण संरक्षण करते मारे गए लोगों की सूची में भारत का नाम तीसरे स्थान पर है।
प्रदूषण से कम जानलेवा नहीं है पर्यावरण संरक्षण!
- विविध
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- 4 Aug, 2019

अवैध खनन, जंगलों के कटने, बांधों के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले, साफ़ पानी और साफ़ हवा की माँग करने वालों पर पुलिस, भूमाफिया और सरकारी संरक्षण प्राप्त हत्यारे गोली चलाते हैं। यानी पर्यावरण संरक्षण भी जानलेवा साबित हो रहा है।
वर्ष 2012 से ब्रिटेन के एक ग़ैर-सरकारी संगठन, ग्लोबल विटनेस, नामक संस्था ने हरेक वर्ष पर्यावरण के विनाश के विरुद्ध आवाज़ उठाने वालों की हत्या के सभी प्रकाशित आँकड़ों को एकत्रित कर एक वार्षिक रिपोर्ट को तैयार करने का कार्य शुरू किया था। इस वर्ष की हाल में ही प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हरेक सप्ताह तीन से अधिक पर्यावरण संरक्षकों की हत्या कर दी जाती है। वर्ष 2018 के दौरान दुनिया में कुल 164 पर्यावरण संरक्षकों की हत्या कर दी गयी। सबसे अधिक ऐसी हत्याएँ फिलीपींस में 30, कोलंबिया में 24 और भारत में 23 हत्याएँ की गयीं। इसके बाद ब्राज़ील में 20 और ग्वाटेमाला में 16 पर्यावरण संरक्षक मारे गए।