त्रिपुरा में नए समीकरण बनने जा रहे हैं। बीजेपी गठबंधन की सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) अब बीजेपी का साथ छोड़ने जा रही है। उसने क्षेत्रीय दल टीआईपीआरए से बातचीत शुरू कर दी है। दोनों दलों के बीच एक होटल में कल शनिवार से बैठक चल रही है। जिसमें दोनों का पार्टियों का विलय कर चुनाव लड़ने पर बातचीत हो रही है। अगर इन दोनों दलों का गठबंधन या विलय होता है और वे चुनाव में उतरते हैं तो बीजेपी की मुश्किलें त्रिपुरा में बढ़ जाएंगी। त्रिपुरा में अगले महीने चुनाव होने वाले हैं।
मौजूदा स्थिति
आईपीएफटी और बीजेपी ने 2018 के चुनावों में गठबंधन किया था और आईपीएफटी ने 8 सीटें जीतीं। त्रिपुरा की बीजेपी सरकार में उसके दो मंत्री भी हैं, लेकिन उसके तीन विधायक टीआईपीआरए में चले गए।मुद्दा अलग राज्य का है आईपीएफटी के प्रमुख प्रेम कुमार रियांग ने एनडीटीवी से कहा-आईपीएफटी 2018 से बीजेपी के साथ गठबंधन में है। हमने एक साथ चुनाव लड़ा और जीता लेकिन अलग राज्य की हमारी मांग पूरी नहीं हुई है। हम अलग तिपरालैंड के लिए लड़ रहे हैं और अब तक हमें कुछ हासिल नहीं हुआ है। हम अलग राज्य की मांग कर रहे हैं। 2009 के बाद से यह मांग बराबर जारी है लेकिन अब तक हमने कुछ भी हासिल नहीं किया है, हमें सिर्फ धोखा मिला है।
देवबर्मन ने कहा - कई राजनीतिक दलों ने हमसे संपर्क किया, लेकिन हम अपने लोगों से झूठ नहीं बोल सकते, जिन्होंने 70 साल से ज्यादा की पीड़ा झेली है। हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हम लिखित में संवैधानिक समाधान चाहते हैं। हम किसी भी राजनीतिक दल के साथ तब तक गठबंधन नहीं करेंगे, जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। क्योंकि हम अपने लोगों के साथ विश्वासघात नहीं कर सकते। अतीत में, कई राजनीतिक दलों ने इस मामले पर मौखिक वादा किया था, लेकिन फिर चुनाव के बाद हमें निराश कर दिया। इस बार हम लिखित आश्वासन से कम कुछ भी लेने के लिए तैयार नहीं हैं।
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