संसद का विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण विधेयक को पास किया गया, विपक्षी दलों ने भी समर्थन किया। लेकिन उनका आरोप है कि यह मोदी सरकार का जुमला है। आख़िर इस विधेयक से किसे फायदा होगा, एनडीए या 'इंडिया' को?
महिला आरक्षण बिल पास तो हो गया लेकिन इंडिया गठबंधन बहुत बेहतरीन तरीके से ओबीसी आरक्षण का मुद्दा बहस के केंद्र में ले आया है। कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य दलों ने महिला कोटे के अंदर ही ओबीसी महिलाओं का कोटा तय करने और जाति जनगणना की मांग की है। मोदी सरकार के बिल में ओबीसी महिलाओं का कोटा गायब कर दिया गया है। ओबीसी कोटा अब चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।
मध्य प्रदेश की पूर्व सीएम और भाजपा की सीनियर नेता उमा भारत ने महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी कोटा न होने पर निराशा जताई। उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र भी लिखा। विपक्षी गठबंधन भी ओबीसी सबकोटा की मांग कर रहा है। लेकिन भाजपा ने उमा भारती के पत्र पर चुप्पी साध रखी है। वो पीएम मोदी को पहला ओबीसी पीएम बताकर खुश है। लेकिन आगे के सवाल और जवाब गायब हैं।
लोकसभा में पेश महिला आरक्षण विधेयक का सदन में मौजूद दो सांसदों को छोड़कर बाक़ी सभी ने समर्थन किया। जानें वो कौन हैं जिन्होंने विरोध किया और क्या वजह रही।
विपक्ष ने जिस तरह महिला आरक्षण बिल पर सरकार का समर्थन किया है, कम से कम सत्तारूढ़ भाजपा को उसका स्वागत करना चाहिए और पीएम मोदी को उसे घमंडिया गठबंधन कहना बंद कर देना चाहिए।
लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को बुधवार को पास किया जा चुका है। इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है। लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने साफ कर दिया कि इसमें एससी, एसटी और ओबीसी सब कोटा बढ़ाया जाए, तभी इसे मंजूर किया जाए। राज्यसभा में भी विपक्ष का रुख इसी तरह का है।
क्या महिला आरक्षण का दाँव मोदी के लिए उल्टा पड़ गया है? परिसीमन की शर्त ने मोदी सरकार की मंशा पर संदेह क्यों खड़ा कर दिया है? पिछड़ा वर्ग में महिलाओं का आरक्षण न करने से क्या मोदी का पिछड़ा विरोधी चेहरा उजागर हो गया है? बीजेपी के अंदर से ही महिला आरक्षण विधेयक के विरोध के स्वर क्यों उठ रहे हैं? क्या मोदी ने महिला आरक्षण को फिर से लटका दिया है?
महिला आरक्षण विधेयक को जनगणना और परिसीमन के बाद ही लागू किए जाने की शर्त को लेकर आलोचनाएँ झेल रही बीजेपी ने आज लोकसभा में जवाब दिया। जानिए, गृहमंत्री अमित शाह ने क्या दलील दी।
महिला आरक्षण विधेयक को सरकार ने लोकसभा में पेश कर दिया है, लेकिन क्या इसे जल्द लागू किया जाएगा? क्या हो जब इसे 2027 या 2029 में लागू किया जाए? जानिए आख़िर इतनी देरी क्यों।
संसद के विशेष सत्र में बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने बेबाकी से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एससी,एसटी, ओबीसी सबकोटे के साथ जाति जनगणना करवा कर इसे लागू करने की मांग करती है।
संसद में बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर तीखी बहस होने की संभावना है, क्योंकि इसके कुछ प्रावधान विपक्ष को रास नहीं आए। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी बहस की शुरुआत कर सकती हैं।
महिला बिल क्यों अचानक लाया गया ? क्या ये ऐतिहासिक है ? क्यों विपक्ष इसको फ्राड कह रहा है ? क्यों आप इसे छलावा कर रही है ? क्या वाक़ई ये बिल एक धोखा है ? आशुतोष के साथ चर्चा में राकेश सिन्हा, यशोवर्धन आजाद, असलम शीबा फहमी, प्रो रविकांत, जावेद अंसारी और धर्मेंद्र ।
जिस तरह से महिला आरक्षण बिल संसद में पेश किया गया है उससे मोदी की वोट की राजनीति की शैली की बू आती है। यह बाद में सोचा गया और एक हताश कदम था, यह तब दिखाई देने लगा जब अचानक एक विशेष सत्र की घोषणा की गई। इसके अलावा, अगर इस मुद्दे के पीछे कोई ईमानदारी होती, तो मनमोहन सिंह सरकार के दिनों में राज्यसभा द्वारा पारित पहले के विधेयक को पुनर्जीवित किया जा सकता था।