कांग्रेस ने महिला आरक्षण विधेयक को मोदी सरकार का सबसे बड़ा जुमला क़रार दिया है। इसने कहा है कि यह देश की करोड़ों महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। इसने कहा है कि 'यह विधेयक आज सिर्फ हेडलाइन बनाने के लिए है, जबकि इसका कार्यान्वयन बहुत बाद में हो सकता है। यह कुछ और नहीं बल्कि EVM - EVent Management है।'
कांग्रेस ने कहा है कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद प्रभावी होगा। इसने पूछा है कि क्या 2024 चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन हो जाएगा? पार्टी न कहा है, "प्रधानमंत्री जी, आपसे और क्या उम्मीद की जा सकती है? यह बड़ा धोखा लाखों भारतीय महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों को चकनाचूर कर देता है। महिला आरक्षण विधेयक अधर में है, अगली जनगणना से जुड़ा हुआ है, और महत्वपूर्ण परिसीमन प्रक्रिया अगली जनगणना पर निर्भर है। मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की जनगणना नहीं कराई है। आख़िरकार यह महत्वपूर्ण जनगणना कब होगी?' कांग्रेस ने कहा है कि यह विधेयक सुर्खियां बटोरने के लिए है। इसने कहा है- 'खोखले वादों के मास्टर का एक और जुमला'।
पार्टी ने महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझाई है। इसने कहा है कि यह बिल आज पेश जरूर हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता। ऐसा क्यों? पार्टी ने कहा है, 'क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा। आपको बता दें कि 2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई। आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। ख़बरों में कहीं 2027 तो 2028 की बात कही गई है। इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा।'
पार्टी ने कहा है कि मतलब पीएम मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है।
मोदी जी ने अपने जुमलों से इस देश की महिलाओं को भी नहीं बख़्शा. महिला आरक्षण बिल में उनकी खोटी नियत साफ़ हो गई
— Supriya Shrinate (@SupriyaShrinate) September 19, 2023
बिल के अनुसार महिला आरक्षण के पहले जनगणना और फिर डिलिमिटेशन होना अनिवार्य है - मतलब 2029 से पहले ये संभव ही नहीं है
अगर आप वाक़ई में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना… pic.twitter.com/O9uPrTcZPr
आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा है, 'यदि महिला आरक्षण विधेयक के पीछे का विचार महिलाओं को व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना रहता तो यह एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं तक पहुंच बनाए बिना नहीं हो सकता था। कई मायनों में, यह विश्वसनीयता पूर्णतः खो चुकी एक सरकार का post dated promise है। साफ़ शब्दों में ये धोखा है।'
If the idea behind #WomenReservationBill is to ensure widest representation to women, it cannot be without according/reaching out to women from SCs, STs and OBCs.
— Manoj Kumar Jha (@manojkjhadu) September 19, 2023
In many ways, it is a post dated promise from a government without any credibility whatsoever. It is FRAUD
Jai Hind
महिला आरक्षण विधेयक पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, 'जो विधेयक पेश किया गया है वह दुर्भाग्य से महिला आंदोलन और नीति निर्माण और विधायी मामलों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिए उनके संघर्ष के साथ विश्वासघात है। विधेयक का खंड 334 ए कहता है कि संवैधानिक संशोधन विधेयक के पारित होने और उसके बाद होने वाले परिसीमन के बाद पहली जनगणना के बाद आरक्षण लागू होगा। इसलिए अनिवार्य रूप से इसका मतलब यह है कि किसी भी परिस्थिति में यह आरक्षण 2029 से पहले लागू नहीं होगा।' आप नेता संजय सिंह ने कहा है कि यह “महिला बेवक़ूफ़ बनाओ बिल” है।
ये महिला आरक्षण बिल नही “महिला बेवक़ूफ़ बनाओ बिल” है।
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) September 19, 2023
मोदी सरकार का नया जुमला मात्र है।
ये बिल 2029 के बाद भी लागू नही होगा।
अगर मोदी जी की नियत साफ़ है तो 2024 में इसे लागू करो वरना देश की महिलाओं को धोखा देना बंद करो।
नीतीश कुमार ने कहा है कि महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिये भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिये। उन्होंने जनगणना और निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की शर्तों के लिए आलोचना की है।
संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वह स्वागत योग्य कदम है।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) September 19, 2023
हम शुरू से ही महिला सशक्तीकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाये हैं। वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।
वर्ष…
बता दें कि महिला आरक्षण विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। इसमें लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का प्रावधान किया गया है। आरक्षित सीटों में एससी-एसटी महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान है। लोकसभा में हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में सदन की कार्यवाही के पहले दिन संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया।
इस विधेयक में महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। आरक्षण भी परिसीमन प्रक्रिया और अगली जनगणना के बाद ही दिया जा सकेगा। संविधान (एक सौ अट्ठाईसवाँ संशोधन) विधेयक 2023 के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों की एक तिहाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
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