महिला आरक्षण विधेयक आख़िरकार मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया। इसमें लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का प्रावधान किया गया है। आरक्षित सीटों में एससी-एसटी महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान है। लोकसभा में हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए संसद भवन में सदन की कार्यवाही के पहले दिन संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। इस विधेयक के पेश होने के बाद लोकसभा को आज के लिए स्थगित कर दिया गया। विधेयक पेश किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के नेतृत्व में विकास को लेकर भाषण दिया। उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक के इतिहास और विभिन्न सरकारों द्वारा इसे पेश करने और पारित करने के पिछले प्रयासों के बारे में भी बात की।
एक दिन पहले राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने एक्स पर पोस्ट किया था कि कैबिनेट ने महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है, लेकिन एक घंटे के भीतर उस पोस्ट को उन्होंने हटा दिया था। इसके बाद इस विधेयक पर फिर से संशय पैदा हो गया था। पहले सूत्रों के हवाले से ख़बर आई थी कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी।
बहरहाल, महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने पर विपक्षी कांग्रेस ने कहा कि यह एक 'जुमला' है। पार्टी ने कहा कि सरकार को अभी 2021 की जनगणना करानी है और इसने कहा है कि आरक्षण उसके बाद ही लागू होगा। कांग्रेस ने पूछा कि क्या परिसीमन 2024 चुनाव से पहले होगा? पार्टी ने आगे इसे भारतीय महिलाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा बताया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद में सदन की कार्यवाही के पहले दिन राज्यसभा को संबोधित किया, और कहा कि लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करेगा।
जानिए, क्या है विधेयक में
विधेयक में कहा गया है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नीति बनाने में महिलाओं की ज़्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए यह तय किया गया है कि नया विधेयक पेश किया जाए। संवैधानिक संशोधन के लिए लाए गए नये विधेयक में लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और दिल्ली की विधानसभा में कुल सीटों की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाने का प्रावधान है।
इस विधेयक में महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 15 साल के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। आरक्षण भी परिसीमन प्रक्रिया और अगली जनगणना के बाद ही दिया जा सकेगा।
संविधान (एक सौ अट्ठाईसवाँ संशोधन) विधेयक 2023 के अनुसार महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों की एक तिहाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
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