संसद के विशेष सत्र में जो निकला वो न चौंकाने वाला निकला और न देश की राजनीति की काया पलट करने वाला। केंद्र सरकार ने बहु प्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक का नाम भर नहीं बदला बल्कि उसमें इतने पेच डाल दिए कि देश की महिलायें उन्हें सुलझाते-सुलझाते बूढ़ी हो जाएँगी लेकिन पेच दूर नहीं होंगे। गोदी मीडिया इस विधेयक को केंद्र सरकार का 'ब्रम्हास्त्र' बता रहा है किन्तु ऐसा हकीकत में है नहीं। हकीकत और अफ़साने में बहुत अंतर है।