देखना तुम,अभी ये और गिरेगा। जब तुम सोचोगे कि अब गिरने के लिए और बचा ही क्या है, ठीक उसी समय यह तुम्हारी सारी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए और भी नीचे गिर कर दिखा देगा। फिर व्यंग्य से तुम्हारी ओर देख कर मुस्कुराएगा।अतल में पहुंच जाएगा तो वहां से अतल के भी अतल में गिर कर दिखाएगा।तुम सोचोगे, इससे ज्यादा तो यह चाहकर भी नहीं गिर सकता। वह तुम्हें फिर से गलत साबित करेगा। इसके भी नीचे और भी नीचे और भी नीचे गिर कर दिखाएगा। पाताल के भी  पाताल के भी पाताल के भी पाताल में गिर जाएगा और पूछेगा कि और भी नीचे गिर कर दिखाऊं क्या? आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे, वहां से उदास और हताश होकर चल दोगे।जी उल्टी करने को होने लगेगा तो वह अट्‌टहास करते हुए कहेगा-  ' कायर कहीं के ' !