नरेंद्र मोदी रविवार 9 जून को बैसाखियों के सहारे तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने जा रहे हैं। बैसाखियां भी कई बार फिसलती हैं। भारतीय जनादेश को नजरन्दाज कर मोदी की यह ताजपोशी जनता की उम्मीदों पर कितना खरी उतरती है, वक्त इसका फैसला करेगा। स्तंभकार वंदिता मिश्रा बता रही हैं कि जो मोदी चुनाव में अपनी लाज (मोदी की गारंटी) नहीं बचा सके, विडंबना है कि वो प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। पढ़िएः